माइग्रेन एक विशेष प्रकार का सर दर्द है. यह पुरुषो के मुकाबले महिलाओं में अधिक होता है. यह आम तौर पर आधे सर में होता है (कभी दाहिनी तरफ व कभी बायीं तरफ) एवं तपकन के साथ (pulsating, throbbing) होता हैं. दर्द के साथ अक्सर उलटी होती हैं एवं मरीज को रोशनी व शोर बुरा लगता है. दवा न लेने पर एक अटैक आम तौर पर 4 से 72 घंटे तक चलता हैं. माइग्रेन का दर्द इतना तेज होता हैं कि मरीज उस दौरान कोई काम नहीं कर सकता और दर्द समाप्त होने के बाद भी काफी समय तक बहुत कमजोरी महसूस करता है.
माइग्रेन के बहुत से मरीजों में कुछ विशेष कारणों (trigger factors) से अटैक की शुरुआत होती हैं —
- शराब का सेवन (विशेषकर रेड वाइन)
- कुछ खाद पदार्थ (चॉकलेट, कुछ विशेष प्रकार के पनीर,मोनोसोडियम ग्लूटामेट)
- दवाएं (एन्जाइना की दवा निट्रोग्लिस्रीन,गर्भ निरोधक गोलियां एवं अन्य ईस्ट्रोजेन्स आदि)
- अधिक देर भूखे रहना
- अधिक सोना या कम सोना
- कुछ विशेष खुशबुएँ (organic odors)
- मानसिक तनाव व अधिक शारीरक श्रम
- तेज चमक व शोर
- ऊँचे पहाड़ो पर जाना,तूफानी मौसम
- लम्बी हवाई यात्रा से होने वाला time zone shift
- महिलाओ में मासिक धर्म
माइग्रेन के सभी मरीजो को इन सब कारणों से दर्द नहीं होता.जिस मरीज को जिस कारण से दर्द होता हो उसे उससे बचना आवश्यक हैं .
माइग्रेन के इलाज में दो प्रकार की दवाएं प्रयोग की जाती हैं –
- माइग्रेन के अटैक से बचाव करने वाली दवाएं (prophylaxis) एवं 2. अटैक होने पर दर्द को कम करने वाली दवाएं. जिन लोगो को माइग्रेन के अटैक जल्दी जल्दी होते हैं व अधिक तेज होते हैं उन्हें लगातार लम्बे समय तक बचाव कारी दवाएं दी जाती हैं. इसके लिए कई दवाएं उपलब्ध हैं. किस मरीज को कौन सी दवा देनी है इसका चुनाव बहुत सी बातों को ध्यान में रख कर किया जाता हैं. माइग्रेन को किसी भी इलाज द्वारा समाप्त नहीं किया जा सकता. बचाव कारी दवाएं लेने से माइग्रेन के अटैक कम हो जाते हैं व हलके हो जाते है. जिन लोगो को माइग्रेन के अटैक कभी कभार ही होते हैं उन्हें केवल दर्द होने पर दवाएं देना पर्याप्त होता है. जो मरीज बचाव कारी दवाएं ले रहे होते हैं उन्हें भी जब अटैक होते हैं तो उन्हें दर्द निवारक दवाएं लेनी पड़ती हैं. माइग्रेन के हलके अटैक में सामान्य दर्द निवारक दवाएं काम कर जाती हैं. उलटी की दवा मेटोक्लोप्रामाइड साथ में लेने से उलटी में भी आराम मिलता है व दर्द भी जल्दी ठीक हो जाता है. यदि हलके दर्द में ही दवा ले ली जाये तो दर्द बढ़ने से रुक जाता है. तेज दर्द होने पर व साथ में उल्टियाँ होने पर दवा मुश्किल से काम करती है.
माइग्रेन के तेज अटैक में दो विशेष प्रकार की दवाओ अर्गोटामिन या सुमिट्रिप्टान में से एक प्रयोग की जाती है. इनका प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर की देख रेख में ही करना चाहिए.
डॉ. शरद अग्रवाल (एम. डी.)