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विटामिन D ( Vitamin D )

विटामिन D: हर किसी में इसकी कमी क्यों, और ज़्यादा लेना ख़तरनाक क्यों?

आजकल विटामिन D की चर्चा हर जगह हो रही है, अधिकांश लोगों में इसकी कमी पाई जा रही है, और अब यह हड्डी, मांसपेशियों और इम्यून सिस्टम से जुड़ी समस्याओं का बड़ा कारण माना जाता है।

— डॉक्टर, मरीज, इंटरनेट और सोशल मीडिया पर। खासकर हड्डियों से जुड़ी किसी भी परेशानी में डॉक्टर विटामिन D देना नहीं भूलते। लेकिन इस बढ़ते चलन के कारण अब विटामिन D की कमी  जितनी चिंता का विषय है, विटामिन D की अधिकता (ओवरडोज़) भी उतनी ही बड़ी समस्या बनती जा रही है।

“Too much of a good thing is bad” (अति सर्वत्र वर्जयेत) — यानी किसी भी चीज़ की अधिकता हानिकारक होती है, चाहे वह विटामिन D ही क्यों न हो।

आज के समय में विटामिन D की कमी क्यों आम हो गई है?

  1. धूप से दूरी
  • विटामिन D सूर्य की किरणों से शरीर में बनता है, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि धूप सीधे त्वचा पर पड़े।
  • आजकल के जीवनशैली में लोग अधिकतर समय घर या ऑफिस में बिताते हैं।
  • बाहर निकलते भी हैं तो कपड़े पूरे होते हैं या सनस्क्रीन लगा होता है।
  • ऐसे में शरीर को जरूरी धूप नहीं मिलती।
  1. देसी खानपान से दूरी
  • पहले लोग देसी घी, मक्खन और मलाई वाले दूध का इस्तेमाल करते थे — ये सभी विटामिन D के अच्छे स्रोत थे।
  • अब अधिकतर लोग रिफाइंड तेल, स्किम्ड दूध और फैट-फ्री डाइट अपनाते हैं, जिससे विटामिन D का प्राकृतिक स्रोत खत्म हो गया है।

लोग क्या कर रहे हैं? — विटामिन D की अंधाधुंध खुराक

  • कई बार डॉक्टर बिना जांच के भी 60,000 IU की कैप्सूल हर हफ्ते की सलाह दे देते हैं।
  • कुछ डॉक्टर तो 3 लाख या 6 लाख यूनिट वाले इंजेक्शन भी बहुत आसानी से लगवा देते हैं।
  • मरीज सोचते हैं कि यह ताकत की दवा है, और महीनों तक बिना रोक-टोक इसे लेते रहते हैं।
  • परिणामस्वरूप कुछ मामलों में विटामिन D टॉक्सिसिटी (अधिकता) हो जाती है, जो खतरनाक हो सकती है।

विटामिन D की सही खुराक क्या होनी चाहिए?

यदि शरीर में कमी हो (जांच द्वारा प्रमाणित)

  • 60,000 IU प्रति सप्ताह8 सप्ताह तक
  • इसके बाद मेंटेनेंस डोज़ – 60,000 IU महीने में एक बार

बच्चों में बचाव के लिए

  • बड़े बच्चों में 60,000 IU महीने में एक बार देना पर्याप्त है, यदि धूप न मिल रही हो
  • छोटे बच्चों के लिए विटामिन D ड्रॉप्स/सिरप डॉक्टर की सलाह से ही दें

विटामिन D की अधिकता (Overdose) के लक्षण और खतरे

विटामिन D वसा में घुलनशील (fat soluble) विटामिन है, जो शरीर में जमा हो सकता है। अधिक मात्रा में लेने से निम्न दुष्प्रभाव हो सकते हैं:

  • सरदर्द, सुस्ती, कन्फ्यूज़न
  • कब्ज, जी मिचलाना, उल्टी या थकावट
  • मुँह सूखना, मेटलिक टेस्ट
  • रक्त में कैल्शियम का स्तर बढ़ना (Hypercalcemia)
  • किडनी को नुकसान
  • हड्डियों व माँसपेशियों में दर्द

विटामिन D के प्राकृतिक स्रोत

  • सुबह 9 से 11 बजे तक की 30 मिनट की धूप
  • देसी घी, मक्खन, फुल-क्रीम दूध, अंडे की ज़र्दी
  • फैटी फिश जैसे सैल्मन, टूना (यदि उपलब्ध हो)
  • विटामिन D युक्त सप्लीमेंट (जांच के आधार पर और डॉक्टर की सलाह से)

निष्कर्ष: जांच करवाएं, डॉक्टर से सलाह लें और धूप लें

  • विटामिन D हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन इसे संतुलित मात्रा में ही लेना चाहिए।
  • बिना जांच और बिना डॉक्टर की सलाह के लगातार सप्लीमेंट लेना खतरनाक हो सकता है।
  • यदि आप नियमित धूप में नहीं बैठते, या आपका खानपान विटामिन D से रहित है — तो दो महीने में एक बार 60,000 IU लेना पर्याप्त हो सकता है — पर यह भी डॉक्टर की सलाह से ही करें।

ध्यान रखें: सेहत की चाबी संतुलन में है, सिर्फ सप्लीमेंट में नहीं।

डॉ. शरद अग्रवाल एम. डी.

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