शराब पीने की बीमारी ( Alcoholism )
हमारे समाज में शराब पीने का चलन बढ़ता जा रहा है. शादियों पार्टियों व मीटिंग में डिनर से पहले कॉकटेल पार्टी का फैशन सा हो गया है. इन्हीं पार्टियों में किशोर और युवा शराब पीना सीख जाते हैं. शराब पीने को वे आधुनिकता का प्रतीक समझते हैं. इनमे से कुछ लोग फिर नियमित रूप से शराब पीने लगते हैं. पहले उसकी मात्रा कम होती है. फिर धीरे-धीरे मात्रा बढ़ती जाती है. कभी मानसिक तनाव होने पर या कभी यार दोस्तों के साथ मौज मस्ती में ऐसे व्यक्ति काफी अधिक शराब भी पी लेते हैं. हमारे समाज में एक बुराई यह भी है कि लोग एक दूसरे को जबरदस्ती और अधिक शराब पीने को उकसाते हैं. अधिक शराब पीने से व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है. शराब के नशे में झगड़ा, मारपीट, बलात्कार, हत्या तक के किस्से अक्सर सुनने को मिलते हैं. सबसे अधिक एक्सीडेंट, हत्याएं व आत्महत्याएं शराब के नशे के दौरान ही होती हैं. शराबी व्यक्ति को पारिवारिक कलह, सामाजिक सम्मान में कमी, व्यापार व नौकरी में परेशानियां जैसी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं. इनसे वह और तनाव ग्रस्त हो जाता है तथा और अधिक शराब का सेवन करने लगता है.
अधिक शराब से ब्लड प्रेशर बढ़ना, हृदय की धड़कन में गड़बड़ी होना, एनजाइना व अन्य जानलेवा हृदय रोग हो सकते हैं. पैंक्रियाज का एक खतरनाक रोग पैंक्रियाटाइटिस भी शराब पीने वालों में अधिक होता है. शराब के सेवन से पुरुषों में नपुंसकता तथा महिलाओं में बांझपन एवं गर्भपात का खतरा होता है. शराब पीने वालों को न्यूमोनिया होने की संभावना अधिक होती है. शराब के नशे में गिरना, एक्सीडेंट होना व चोट लगने आदि का खतरा भी अधिक होता है.
शराब से सबसे अधिक नुकसान दिमाग और तंत्रिका तंत्र को होता है. भूलने का रोग, अनिद्रा (sleeplessness), खर्राटे आने से सांस का रुकना (obstructive sleep apnea), सोचने तथा निर्णय लेने की क्षमता कम होते होते समाप्त हो जाना, डिप्रेशन या घबराहट होना, पागलपन के लक्षण पैदा होना, चलने में संतुलन ना होना व हाथ पैरों की तंत्रिकाओं का सूखना (neuropathy) आदि हो सकते हैं.
ऐसा माना जाता है कि शराब का आदी होना एक प्रकार का मानसिक रोग है. शराब के आदी व्यक्ति से यह उम्मीद करना बेकार है कि समझाने से उसका विवेक जाग जाएगा और वह शराब पीना छोड़ देगा. जो लोग शराब छोड़ना चाहते भी वे जब उस माहौल में पहुंचते हैं तो अपने को रोक नहीं पाते. कुछ मूर्ख लोग उनको शराब पीने के लिए उकसाते भी हैं.
यदि घर का कोई एक व्यक्ति शराब का आदी हो जाता है तो उसके अपने स्वास्थ्य के साथ उसके बिजनेस या नौकरी, घर की शांति, बच्चों का भविष्य आदि सभी पर इसका असर पड़ता है. शराब पीना बहुत अधिक नुकसानदेह है इसलिए इसको छोड़ने का हर संभव प्रयास करना चाहिए. जो लोग यह समझते हैं पर फिर भी मानसिक कमजोरी के कारण शराब नहीं छोड़ पा रहे होते हैं, उनके लिए एक दवा आती है. इस दवा की एक गोली रोज खाने होती है. गोली खाने के बाद यदि कोई व्यक्ति थोड़ी सी भी शराब पी लेता है तो उसे घबराहट और उल्टियां होती हैं. लगातार कई महीने तक गोली खाते रहने से फिर शराब की तलब छूट जाती है, और उकसाने वाले मूर्ख लोगों की कंपनी भी छूट जाती है. लेकिन इस प्रकार की दवा डॉक्टर की सलाह से लेकर ही देना चाहिए और उन्हीं लोगों को देना चाहिए जो खुद शराब छोड़ना चाहते हो. जो लोग विवेक से काम नहीं लेते व शराब छोड़ना नहीं चाहते उन्हें मानसिक रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए चाहे इसके लिए जबरदस्ती क्यों न करना पड़े. जिस प्रकार घर का कोई व्यक्ति यदि मानसिक रोग से ग्रस्त हो जाए और खुद को व घर के अन्य लोगों को नुकसान पहुंचाने लगे तो उसका जबरदस्ती इलाज कराना पड़ता है, उसी प्रकार अत्यधिक शराब पीने वाले व्यक्ति का भी जबरदस्ती इलाज कराना चाहिए.
शराब के आदी व्यक्ति को जब शराब नहीं मिलती है तो कुछ समय बाद से उसे काफी बेचैनी होने लगती है. उसके हाथ कांपने लगते हैं. कुछ लोगों को डरावने विचार आना या अजीब वस्तुए दिखाई पड़ने की परेशानी होने लगती है. कुछ मरीजों में मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं या delirium tremens नाम की एक पागलपन जैसी स्थिति पैदा हो जाती है जिसमें मृत्यु भी हो सकती है. इस प्रकार की परेशानी में मरीज को अस्पताल में भर्ती करके इलाज करना पड़ता है.
शराब पीने वाले अधिकतर कुपोषण (malnutrition) का शिकार होते हैं. शराब छुड़ाने के साथ उन्हें प्रोटीन. विटामिन एवं आयरन, कैल्शियम आदि अधिक मात्रा में देने होते हैं. शराब पीने से विशेषकर विटामिन बी वन (Vit. B1, thiamine) की कमी हो जाती है जिससे दिमाग के खतरनाक रोग हो सकते हैं. इसीलिए विटामिन बी वन अधिक मात्रा में देना चाहिए.
समाचार पत्रों व पत्रिकाओं मैं कभी कभी इस प्रकार के लेख छपते हैं कि शराब पीने से एचडीएल कोलेस्ट्राल नाम का उपयोगी कोलेस्ट्राल बढ़ जाता है जिससे हृदय रोग की संभावना कम हो जाती है. कुछ डॉक्टर जो कि दुर्भाग्यवश खुद शराब पीने के आदी होते हैं वे भी मरीजों को इस प्रकार की बातें बताते हैं. सच यह है कि केवल 30 मिलीलीटर अल्कोहल नुकसान नहीं करता हें. उससे ऊपर वह शरीर के अधिकतर अंगों को हानि पहुंचाता है. एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का उत्तम उपाय है नियमित व्यायाम जिस से शरीर को और भी बहुत से लाभ होते हैं जबकि एल्कोहल से केवल नुकसान ही नुकसान है.
बहुत से लोग यह समझाने की कोशिश करते हैं कि दिनभर की थकान के बाद शराब पीने से उन्हें तनाव से मुक्ति मिलती है. यह केवल अपने आप को धोखा देने के समान है यदि हम मित्रों या घर के लोगों के बीच बैठकर गप-शप करें कोई खेल खेलें या संगीत सुनें तो हम और अधिक तनाव रहित हो सकते हैं.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी