उपवास करना हमारी धार्मिक परंपरा का एक अभिन्न अंग है. हम में से अधिकतर लोग अपनी आस्था के कारण कभी न कभी व्रत रखते हैं. लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उपवास से हमारे शरीर को स्वास्थ्य संबंधी भी बहुत से लाभ होते हैं।
हम सब चाहते हैं कि हम लंबी आयु तक जिएँ एवं स्वस्थ रहें. उपवास करना इस में हमारी मदद करता है. हमारे यहां अधिकतर बुद्धिजीवी लोग अभी तक व्रत उपवास को पोंगा पंथी और ढकोसला ही कहते थे, लेकिन अब यह सिद्ध हो गया है कि उपवास रखने से हमारी आयु बढ़ती है, हमारा शरीर अधिक स्वस्थ होता है, हमें बुढ़ापा देर से आता है और डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रोल बढ़ना, हृदय रोग, डिमेंशिया व अन्य न्यूरोडिजेनेरेटिव डिसऑर्डर्स एवं कैंसर जैसे रोगों से बचने में भी सहायता मिलती है.
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इस विषय पर बहुत अधिक शोध हो रही है कि मनुष्य की आयु को कैसे बढ़ाया जा सकता है और बढ़ती आयु के साथ मनुष्य कैसे स्वस्थ रह सकता है. इन शोधों में चौकानेवाले परिणाम सामने आए हैं. चिकित्सा विज्ञान की सबसे प्रामाणिक पुस्तक हैरिसंस प्रिंसिपल्स ऑफ़ इंटरनल मेडिसिन के चैप्टर बायोलॉजी ऑफ एजिंग में यह लिखा है कि रोज के खाने में कैलोरी कम करने (कैलोरी रेस्ट्रिक्शन) और नियमित व्यायाम से हमें बहुत सारे स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलते हैं. शोध में यह भी पाया गया है कि प्रतिदिन कम कैलोरी लेने (regular calorie restriction) के मुकाबले सप्ताह में दो दिन व्रत रखने (intermittent fasting) से शरीर को अधिक स्वास्थ्य लाभ होते हैं.
यदि हम रोज के भोजन में ली जाने वाली कैलोरीज़ को तीस प्रतिशत कम कर देते हैं तो हमें उपरोक्त स्वास्थ्य सम्बंधी लाभ प्राप्त हो सकते हैं पर कुछ नुकसान भी हो सकते हैं जैसे – प्रतिरोधक क्षमता (immunity) कम होना, जख्म का देर से भरना, वजन कम होना (बहुत से लोग दुबला दिखना नहीं चाहते), हड्डियाँ कमजोर होना, यौनेच्छा (libido) कम होना व स्त्रियों में मासिक धर्म न होना आदि. इसके विपरीत यदि हम सप्ताह में दो दिन उपवास करें तो हमें स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ तो लगभग उतने ही मिलते हैं पर हानिकारक प्रभाव बहुत कम हो जाते हैं.
कुछ खाद्य पदार्थ एवं दवाएं भी हमारी आयु को बढ़ाने और शरीर के क्षय (aging) को कम करने में सहायक हो सकते हैं – इन में से प्रमुख हैं रेस्वेराट्रौल, स्पर्मिडीन व मेटफॉर्मिन. रेस्वेराट्रौल हमें अंगूर व रेड वाइन से मिलता है, स्पर्मिडीन सोयाबीन, हरी मटर, मशरूम, ब्रोकली, नाशपाती, चिकेन आदि से मिलता है और मेटफॉर्मिन एक दवा है जोकि डायबिटीज के बहुत से रोगियों को दी जाती है और डायबिटीज के अतिरिक्त मेटाबोलिक सिंड्रोम के अन्य लक्षणों को नियंत्रित करने में भी सहायता करती है.
उपवास से हमें स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभों के अतिरिक्त एक बहुत महत्वपूर्ण लाभ और भी होता है. हम में से कोई इस बारे में नहीं सोचता कि प्राकृतिक आपदाओं (जैसे बाढ़ भूकम्प आदि) या युद्ध आदि की स्थिति में लोग इस प्रकार से फंस सकते हैं कि उन्हें लम्बे समय तक भूखा रहने पड़े और लम्बी दूरी की यात्राएं करनी पड़ें. जिन लोगों को व्रत उपवास रखने का अभ्यास है वे इस प्रकार की परिस्थितियों का सामना करने में अधिक सक्षम होते हैं.