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गिरने के खतरे से बचें ( Fall prevention )

जैसे-जैसे हमारी आयु बढ़ती है इस बात की संभावना बढ़ती जाती है कि थोड़ी सी भी असावधानी से हम गिर सकते हैं. आयु बढ़ने के साथ हमारी हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस हो जाती है जिससे हड्डियां कमजोर होती जाती हैं. यदि हड्डियां कमजोर हों तो हलके से गिरने पर भी हड्डी टूटने का अत्यधिक खतरा होता है. बुजुर्ग लोगों में यदि जांघ या कूल्हे का फ्रैक्चर हो जाए तो बहुत खतरनाक साबित हो सकता है. लेकिन इसका अर्थ यह भी नहीं है कि गिरने के डर से हम चलना फिरना ही बंद कर दें. आयु बढ़ने के साथ हमें लगातार शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए एवं नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए, लेकिन कुछ सावधानियां अवश्य रखनी चाहिए, जिससे गिरने का खतरा कम हो जाए.

क्यों होता है गिरने का खतरा?

  1. आयु बढ़ने के साथ शरीर को बैलेंस करने की क्षमता कम हो जाती है, जोड़ एवं मांसपेशियां कमजोर हो जाते हैं एवं आंखों की रोशनी व सुनने की क्षमता कम हो जाती है.
  2. बुजुर्ग लोग अक्सर बहुत सी दवाइयां ले रहे होते हैं जिनमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, एलर्जी एवं दिमागी परेशानियों की दवाएँ मुख्य हैं. इन में से कुछ दवाओं से हल्का सा नशा होना संभव है.
  3. ब्लड प्रेशर के लिए अत्यधिक प्रयोग की जाने वाली थाइज़ाइड दवाएं रक्त में से सोडियम की मात्रा को कम कर सकती हैं जिससे कि कन्फ्यूजन जैसी स्टेट पैदा होती है.
  4. बुजुर्ग लोग अक्सर अनिद्रा के शिकार होते हैं जिस कारण वे स्लीपिंग पिल्स का प्रयोग करते हैं. बहुत से लोगों को डॉक्टर डिप्रेशन की दवाएँ भी देते हैं जिनसे नशा हो सकता है.
  5. बुजुर्गों में खाल में खुश्की होने के कारण खुजली की परेशानी भी अक्सर देखी जाती है जिसके लिए एंटीहिस्टामिनिक दवाएं दी जाती है इन दवाओं से भी नशा होता है.
  6. कुछ बुजुर्ग लोगों को यह शिकायत होती है कि बैठे से खड़े होने पर उनका ब्लडप्रेशर अचानक कम हो जाता है (postural hypotension) जिससे वे गिर सकते हैं. ब्लड प्रेशर की दवाओं से इसकी संभावना बढ़ जाती है.
  7. डायबिटीज जब कुछ वर्ष पुरानी हो जाती है तो पैरों में सुन्नपन होने और ब्लड सप्लाई कम होने से भी गिरने की संभावना बढ़ जाती है.

जो लोग एक या अधिक बार गिर चुके हो उन्हें अपने गिरने की पूरी हिस्ट्री रिकॉर्ड करनी चाहिए जिससे इलाज करने वाले डॉक्टर यह समझ सकें कि किन परिस्थितियों में गिरने की संभावना बढ़ जाती है और उनसे बचने के उपाय बता सकें.

गिरने से बचने के लिए क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

  1. किसी कुर्सी या स्टूल पर कभी खड़े ना हों, छोटे स्टूल पर भी नहीं.
  2. बारिश के दिनों में बाहर निकलने से बचें.
  3. नहाते समय या टॉयलेट जाते समय (विशेषकर यदि फर्श गीला हो तो) इस बात का ध्यान रखें कि बाथरूम में फिसलने की संभावना बहुत अधिक होती है. बाथरूम का फर्श बहुत चिकना न बनाएं. यदि टाइल्स चिकनी हों तो फर्श पर एंटी स्किड मैट डाल दें.
  4. बाथरूम की दीवार में पकड़ने वाले हैंडल ऐसे स्थान पर लगाएँ जहां उनकी आवश्यकता हो. कमोड से उठते समय इन हैंडल्स का सहारा लें.
  5. नहाने के बाद बाथरूम में एक पैर पर खड़े होकर या दीवार का सहारा लेकर अंडरवियर पहनने की कोशिश न करें, कमरे में आकर चेयर पर बैठकर या बेड पर बैठकर अंडरवियर पहनें. पैंट या पायजामा भी बैठ कर पहनें.
  6. फर्श पर पड़ी चीजों को फर्श पर से हटाते समय बहुत ध्यान से झुक कर हटाएँ.
  7. सीढ़ियां चढ़ते और उतरते समय रेलिंग को अवश्य पकड़ें.
  8. रात में यदि बाथरूम जाने के लिए उठना पड़े तो पहले तीन-चार मिनट तक बेड पर पैर लटका कर बैठे और पैरों को थोड़ा चलाएं, उसके बाद खड़े हों.
  9. यदि संभव हो तो टॉयलेट का दरवाजा अंदर से बंद न करें.
  10. यदि गिरने लगें तो हाथ से कोई चीज पकड़ने की या हाथ को फर्श पर टिकाने की कोशिश करें, क्योंकि हाथ का फ्रैक्चर कमर, कूल्हे या जांघ की हड्डी (femur) के फ्रैक्चर से कम खतरनाक होता है.
  11. जिन लोगों को गिरने का डर है उन्हें अपने जूते का चयन बहुत सावधानी से करना चाहिए. जूते में हील न हो, जूते ठीक से फिट होने वाले हों और साथ ही उनका सोल एंटी स्किड अर्थात फिसलने से रोकने वाला हो.
  12. अपने घर को चलने के लिए सुरक्षित बनाएं. चलने के रास्ते में पड़ने वाले छोटे-छोटे सामान, बिजली के तार और कालीन आदि इस प्रकार से व्यवस्थित करें कि उनमें पैर उलझ कर गिरने का डर न रहे.
  13. रोजमर्रा की आवश्यकता की वस्तुओं को अपने आसपास ही रखें जिससे छोटी-छोटी वस्तुओं के लिए बार-बार चलकर न जाना पड़े.
  14. फर्श पर पानी, तेल या कोई चिकनी चीज गिर जाए तो उसे तुरंत साफ करें या करवाएँ.
  15. अपने रहने के स्थान पर समुचित प्रकाश की व्यवस्था करें. अपने कमरे और गैलरी में नाइट बल्ब लगाएँ. कमरे के अंदर घुसते ही यदि बिजली के स्विच न हो तो बिजली के स्विच बोर्ड में एलईडी लाइट लगाएँ, जिससे वह दूर से दिख जाए.
  16. बुजुर्ग लोगों के लिए व्यायाम करना आवश्यक है एवं चलते रहना भी आवश्यक है. व्यायाम करते रहने से मांसपेशियां और जोड़ ठीक रहते हैं
  17. नियमित रूप से बैलेंस एक्सरसाइज करें. बैलेंस एक्सरसाइज के अतिरिक्त सभी प्रकार के व्यायामों से शरीर की बैलेंस बनाने की क्षमता में सुधार होता है.
  18. यदि आवश्यकता हो तो छड़ी या वॉकर (walker) का प्रयोग करें.
  19. भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन डी अन्य विटामिन्स लेते रहना चाहिए. दूध और दूध से बनी चीजें कैल्शियम एवं प्रोटीन के बहुत अच्छे स्रोत हैं. दालें, चना, अंडे व ताजे फल-सब्जियाँ खाने से लाभ होता है. चीनी, चिकनाई (घी, तेल) व नमक का सेवन कम कर देना चाहिए. किसी भी रूप में तम्बाखू व अल्कोहल का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

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