पैन्क्रियाटाइटिस एक गंभीर बीमारी है जिसमें पैंक्रियास में सूजन आ जाती है। पैंक्रियास पेट में पीछे की ओर स्थित एक अंग है जो पाचन और शुगर नियंत्रण में मदद करता है। पैन्क्रियाटाइटिस के मुख्य लक्षणों में पेट में अचानक तेज दर्द, उल्टी, और बुखार शामिल हो सकते हैं। इस में आम तौर पर पेट के ऊपरी हिस्से में और उसी की सीध में पीछे पीठ में दर्द होता है.
प्रकार (Types) :
- एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस (Acute Pancreatitis) : यह अचानक होती है और दो से तीन हफ्ते में ठीक हो सकती है, लेकिन गंभीर मामलों में इससे जीवन को खतरा हो सकता है।
- क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस (Chronic Pancreatitis) : यह लंबे समय तक चलने वाली समस्या है और धीरे-धीरे पैंक्रियास को नुकसान पहुंचा सकती है।
कारण : यह बीमारी बिना किसी कारण के भी हो सकती है। लेकिन यह उन लोगों में अधिक होती है जो अधिक मात्र में शराब का सेवन करते हैं, जिन में पित्ताशय की पथरी है या जिन के रक्त में चर्बी (ट्राइग्लिसराइड) की मात्रा बहुत अधिक होती है. डायबिटीज के इलाज में प्रयोग की जाने वाली Vidagliptin आदि दवाओं से भी इसकी संभावना बढ़ सकती है। पैंक्रियास की चोट या पैंक्रियास में पथरी होने से भी पैन्क्रियाटाइटिस की संभावना बढ़ जाती है।
लक्षण : पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द, जो पीठ तक फैल सकता है। यह दर्द रह रह कर नहीं बल्कि लगातार होता है। अधिकतर मरीजों को उल्टियाँ भी होती हैं। बुखार और पेट फूलने जैसे लक्षण हो सकते हैं।
डायग्नोसिस : खून की जांच में CBC, Serum Amylase और Serum Lipsase की जाँच करते हैं। अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई या एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड से पैंक्रियास में सूजन दिख सकती है और यदि पित्त की थैली में पथरी हों तो वे भी दिख सकती हैं. कभी कभी पैंक्रियास के पीछे fluid इकठ्ठा होने से pseudopancreatic cyst बन जाती है जोकि उपरोक्त जांचों से दिख जाती है.
उपचार : एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस के उपचार के लिए कुछ समय के लिए मुँह से खाना बंद कर के बोतल (i.v. fluid) चढाते हैं जिससे पैंक्रियास को आराम मिल सके, एवं कुछ दवाएँ (दर्द निवारक दवाएं व एंटीबायोटिक्स) इंजेक्शन देते हैं. कुछ मामलों में सर्जरी करना पड़ सकती है. यदि कोई इस तरह के लक्षणों का अनुभव कर रहा है तो इसके खतरों से बचने के लिए तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेना जरूरी है।
क्रॉनिक पैन्क्रियाटाइटिस के उपचार के लिए खाने में चिकनाई (घी तेल आदि) की मात्रा को बहुत कम करना होता है एवं प्रोटीन युक्त भोजन को नियंत्रित करना होता है। भोजन के पाचन के लिए पैंक्रियास के एंजाइम्स भोजन के साथ देने होते हैं। बहुत से मरीजों को इन्सुलिन न बनने के कारण डायबिटीज भी हो जाती है जिसको दवाओं और इन्सुलिन से कंट्रोल करना होता है। जिन मरीजों के पित्ताशय में पथरी हो उन्हें उसका ऑपरेशन करा लेना चाहिए। शराब पीने वालों को शराब बिलकुल छोड़ देनी चाहिए एवं जिनके खून में ट्राईग्लिसराइड अधिक मात्रा में हों उन्हें इसके लिए दवा व परहेज करना चाहिए।