पैंक्रियाटाइटिस (अग्नाशय में सूजन): जानिए इस जटिल रोग को सरल भाषा में
परिचय
पैंक्रियाटाइटिस (Pancreatitis) यानी अग्नाशय (पैंक्रियाज) में सूजन होना। अग्नाशय हमारे पेट में स्थित एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पाचन के लिए जरूरी एंजाइम और शुगर नियंत्रण के लिए इंसुलिन बनाता है। जब अग्नाशय में सूजन आ जाती है, तो शरीर की कई प्रक्रियाएं प्रभावित होती हैं।
पैंक्रियाटाइटिस के कारण
पैंक्रियाटाइटिस के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- पित्ताशय में पथरी होना (विशेषकर जब पथरी पित्त की नली में आ जाए)
- अत्यधिक शराब सेवन
- ऊंचा ट्राइग्लिसराइड स्तर (रक्त में चर्बी))
- कुछ विशेष दवाइयां (विशेषकर डायबिटीज के इलाज में प्रयोग की जाने वाली gliptin दवाएं)
- पैंक्रियास की चोट या पैंक्रियास में पथरी होने से भी पैन्क्रियाटाइटिस की संभावना बढ़ जाती है।
- पेट में चोट या सर्जरी
- संक्रमण या ऑटोइम्यून रोग
- कुछ मामलों में कारण का पता नहीं चलता (इसे ‘इडियोपैथिक’ कहते हैं)
पैंक्रियाटाइटिस के प्रकार
- एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस (Acute Pancreatitis) – अचानक शुरू होता है, इलाज मिलने पर ठीक हो सकता है।
- क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस (Chronic Pancreatitis) – लंबे समय तक चलता है और अग्नाशय को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।
लक्षण
एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण हल्के से लेकर बहुत गंभीर हो सकते हैं, जैसे:
- पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द, जो पीठ तक जा सकता है। यह दर्द लगातार बहुत तेजी से होता है (रुक रुक कर तेज और धीमा नहीं होता)
- जी मिचलाना और उल्टी।
- बुखार
- पेट में सूजन
- हवा न घूमना एवं कब्ज हो जाना।
क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस के लक्षण आमतौर पर हल्के होते हैं।
- भूख न लगना
- पेट में बार बार हल्का दर्द होना (विशेषकर खाना खाने के बाद)
- भोजन का पाचन न होना (दस्त हो सकते हैं)
- कमजोरी और थकान
- इन्सुलिन की कमी के कारण डायबिटीज़ हो जाना
सामान्यत: जिन लोगों को एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस हो चुकी होती है उन्हें बाद में क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस हो सकती है।
डायग्नोसिस :
- खून की जांच में सीरम अमाइलेज़ एवं लाइपेज़ का अत्यधिक बढ़ जाता है। TLC, DLC भी बढ़ी हुई हो सकती है।
- अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई या एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड से पैंक्रियास में सूजन दिख सकती है
- पेट व फेफड़े में पानी हो सकता है
- यदि पित्त की थैली में, पित्त की नली में या पैंक्रियाज़ में पथरी हों तो वे भी दिख सकती हैं.
- कभी कभी पैंक्रियाज़ के पीछे fluid इकठ्ठा होने से pseudopancreatic cyst बन जाती है जोकि उपरोक्त जांचों से दिख जाती है.
- क्रॉनिक पैंक्रियाटाइटिस में पैंक्रियाज़ में कैल्शियम जमा हो जाता है जोकि पेट के एक्सरे में दिख जाता है.
पैंक्रियाटाइटिस का इलाज कैसे होता है?
पैंक्रियाटाइटिस का इलाज हर मरीज के हिसाब से अलग-अलग होता है। इसका कोई एक निश्चित नुस्खा नहीं है। एक्यूट पैंक्रियाटाइटिस के इलाज में आमतौर पर निम्न बातें शामिल होती हैं:
- भोजन से कुछ समय के लिए विराम ताकि अग्नाशय को आराम मिले। इस के लिए मुँह से खाना पीना बंद करना होता है। परेशानी अधिक हो तो नाक के रास्ते पेट में नली (Ryles tube) डाल कर पेट में से पानी निकालना पड़ सकता है.
- IV ड्रिप से तरल पदार्थ देना (बोतल चढ़ाना)
- दर्द निवारक दवाइयां, कैल्शियम के इंजेक्शन
- संक्रमण की संभावना हो तो एंटीबायोटिक्स
- अत्यधिक गंभीर मामलों में ICU में भर्ती की जरूरत हो सकती है।
- यदि पित्त की थैली में पथरी हो तो पैंक्रियाटाइटिस का अटैक शांत होने के बाद उसका ऑपरेशन करते हैं.
इलाज में विशेष बातें:
- यदि रोगी शराब पीता है तो उसे पूरी तरह से शराब छोड़नी होती है।
- यदि ट्राइग्लिसराइड्स बढ़े हों तो उनका इलाज जरूरी है।
- कई मामलों में रोगी को लंबे समय तक भोजन, इंसुलिन या एंजाइम सप्लीमेंट की आवश्यकता हो सकती है।
क्या पैंक्रियाटाइटिस से जटिलताएँ भी हो सकती हैं?
हां, यदि सही समय पर इलाज न हो तो जटिलताएँ हो सकती हैं, जैसे:
- अग्नाशय में सिस्ट या पस बनना
- संक्रमण
- किडनी फेल होना
- डायबिटीज होना
- भोजन पचाने में दिक्कत
पैंक्रियाटाइटिस से बचाव कैसे करें?
- शराब से बचें
- फैटी फूड कम खाएं
- स्वस्थ वजन बनाए रखें
- पित्त की पथरी के इलाज में देरी न करें
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराते रहें
निष्कर्ष
पैंक्रियाटाइटिस एक गंभीर लेकिन इलाज से कंट्रोल होने वाली बीमारी है। इसकी पहचान और सही इलाज समय रहते करना बहुत जरूरी है। हर मरीज अलग होता है, इसलिए इलाज भी हर मरीज के लिए विशेष होता है। यदि समय पर सावधानी बरती जाए और जीवनशैली में सुधार लाया जाए, तो इस बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
डॉ. शरद अग्रवाल एम. डी.