वाइरल फीवर के विषय में जानने योग्य कुछ बातें
वाइरल फीवर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में विषाणुओं (viruses) के संक्रमण (infection) द्वारा फैलता है. वैसे तो यह वर्ष में कभी भी हो सकता है लेकिन बरसात के दिनों में इसका प्रकोप बढ़ जाता है. यह अत्यधिक संक्रामक (infectious) होता है. किसी घर में एक व्यक्ति को वाइरल फीवर होने पर घर के अन्य सदस्यों में इसके फैलने का अत्यधिक डर होता है. जिस व्यक्ति को वाइरल फीवर हो उसे घर के अन्य सदस्यों से जितना हो सके दूर रहना चाहिए.
वाइरल फीवर के आरंभिक लक्षण : जुकाम, खांसी व गले में दर्द होकर बुखार आना, सर कमर व टांगों में दर्द होना, काफी ठण्ड लगना या कंपकंपी आना, कभी गर्मी लगना, भूख बिलकुल न लगना, व अजीब सी बेचैनी होना इत्यादि. वाइरल फीवर लगभग चार पांच दिन में स्वयं ही उतर जाता है. बुखार के दौरान तो बेचैनी व कमजोरी होती ही है, बुखार उतरने के बाद भी अत्यधिक कमजोरी महसूस होती है व चक्कर आते हैं. यदि बुखार के समय अच्छा आहार लिया जाय व आराम किया जाय तो कमजोरी कम महसूस होती है.
इस बुखार में एसिडिटी बहुत बढ़ जाती है, भूख लगना बंद हो जाती है व उल्टियाँ होती हैं. बुखार उतारने की तेज दवाएं या दर्द निवारक दवाएं जैसे काम्बिफ्लाम, डिस्प्रिन आदि खाने से परेशानी और बढ़ जाती है और कभी कभी रोगी को खून की उल्टियां भी हो जाती हैं. बुखार को नियंत्रित रखने के लिए पैरासीटामाल व निमुसेलाइड (केवल आधी गोली) का प्रयोग कर सकते हैं. एसिडिटी के कारण वाइरल फीवर के मरीज को चाय व जूस नहीं लेना चाहिए.
बेट्नीसाल, डैकाड्रान, प्रेड्नीसोलोन आदि स्टीराइड दवाएं बुखार को एकदम से उतार सकती हैं लेकिन यह वाइरल फीवर में बहुत नुकसान करती हैं. ऐन्टीबायोटिक दवाएं जैसे ऐम्पिसिलिन, टेट्रासाइक्लिन, सेप्ट्रान, सिप्रोफ्लोक्सासिन आदि वाइरल फीवर के इलाज में नुकसान पहुंचा सकती हैं इसलिए डॉक्टर की सलाह के बगैर इन्हें न लें. मलेरिया की दवाएं भी वाइरल फीवर में नुकसान पहुंचाती हैं. याद रखें वाइरल फीवर में भी ठण्ड लग कर बुखार आ सकता है.
वाइरल फीवर अपने आप में खतरनाक बीमारी नहीं है. यदि कोई दवा न खायी जाय तो भी यह चार पांच दिन में अपने आप उतर जाता है. लेकिन वाइरस से होने वाली कुछ अन्य बीमारियाँ भी वाइरल फीवर की भाँति आरम्भ होती हैं, जैसे – खसरा, चिकन पाक्स, पीलिया, डेंगू फीवर, स्वाइन फ़्लू, एन्केफ़ेलाइटिस, आदि. इस लिए बुखार होने पर स्वयं दवा न खाकर डॉक्टर को दिखाना ही सुरक्षित है. हल्की एवं कम दवाएं, हल्का किन्तु पौष्टिक आहार एवं जितना हो सके आराम यही वाइरल फ़ीवर के उचित इलाज हैं.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी