Infections, Skin

स्केबीज ( Scabies, सूखी खुजली )

यह एक त्वचा की बीमारी है जो कि विशेष प्रकार के पैरासाइट (इच माइट) द्वारा होती है. इच माइट एक जूं या पिस्सू जैसा पैरासाइट होता है जोकि आकार में अत्यधिक छोटा होने के कारण दिखाई नहीं देता. यह त्वचा में छेद बना कर उसमें रहता है जिससे रोगी को बहुत खुजली होती है. चेहरे व सर के अतिरिक्त यह शरीर के किसी भी भाग की त्वचा में पाया जा सकता है, पर विशेष कर यह उगलियों के बीच, कलाई पर, बगलों में, स्तनों के नीचे, कमर व जाँघों में, एवं जननागों में पाया जाता है. छोटे बच्चों के सर की त्वचा में भी यह इन्फैक्शन हो सकता है.

मादा पैरासाइट त्वचा के अन्दर अंडे देती है जिससे नए पैरासाइट निकल कर शरीर के अन्य भागों में फ़ैल जाते हैं. कुछ पैरासाइट पह
नने के कपड़ों, तोलिया, व चादर इत्यादि पर चिपक जाते है व इन चीजों का प्रयोग करने वाले अन्य लोगों के शरीर पर भी पहुच जाते हैं. जब कोई स्केबीज का मरीज इन पैरासाइट को मारने के लिए शरीर पर दवा लगाता है तो कपड़ों पर चिपके पैरासाइट से उसको दोबारा इन्फेक्शन हो जाता है. इस कारण से यह आवश्यक है कि शरीर पर  दवा लगाने के साथ साथ कपड़ों को भी गरम पानी से धोकर धूप में डाला जाए.

स्केबीज के उपचार के लिए मुख्यता: दो दवाएं लोशन के रूप में उपलब्ध हैं, गामा बेंजीन हेक्सा क्लोराइड एवं परमेथ्रीन. इन्हें रात में गर्दन के नीचे सारे शरीर पर मलना होता है व लगभग आठ घंटे बाद सुबह गरम पानी से नहा कर साफ़ करना होता है. घर में जितने लोगों को खुजली हो सभी को एक साथ दवा लगवाना आवश्यक है. कपड़ों को लगातार कई दिन तक गरम पानी से धोकर धूप में भी डालना आवश्यक है. रजाई, गद्दे व तकिये को बिना धोए धूप में डालना पर्याप्त है.

सामान्यत: दवा को केवल एक बार लगाने से ही पैरासाइट मर जाते हैं परन्तु उनके द्वारा उत्पन्न की गई एलर्जी को ठीक होने में काफी समय लगता है. इस दौरान खुजली पर नियंत्रण पाने के लिए एंटी हिस्टामिनिक दवाओं (सैट्रीजिन, एविल आदि) का प्रयोग किया जा सकता है. इस बीच में स्केबीज की दवा को बार बार नहीं लगाना चाहिए क्योंकि यह रक्त में पहुँच कर शरीर को हानि पहुंचा सकती है. आवश्यकता होने पर दवा को एक सप्ताह बाद दोबारा लगाया जा सकता है. स्केबीज को समाप्त करने के लिए खाने की एक दवा भी उपलब्ध है जिसका उपयोग योग्य चिकित्सक द्वारा बताए जाने पर ही करना चाहिए.                                                 डा. शरद अग्रवाल एम डी

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