मुंह में छाले होना, जिसे बोलचाल की भाषा में मुंह आना भी कहते हैं, एक बहुत आम परेशानी है. हम में से शायद ही कोई ऐसा होगा जिसे कभी मुंह में छाले न हुए हों। मुंह में छालों के बहुत से कारण हैं, जिनमें से प्रमुख कारण निम्न हैं –
1. साधारण छाले (एफ्थस अल्सर्स, aphthous ulcers) : यह मुंह में छालों का सबसे सामान्य कारण है. इसमें होठों के अंदरूनी हिस्सों, गालों के अंदरूनी हिस्सों, जीभ की नीचे वाली सतह, तालू का पीछे का मुलायम हिस्सा (soft palate) या टॉन्सिल्स पर कहीं भी छाले हो सकते हैं. ये छाले पीले रंग के होते हैं और इनके चारों तरफ लाल रंग का घेरा बन जाता है. ये अलग-अलग जगह पर निकलते हैं और 5 – 6 दिन तक रह कर बिना निशान छोड़े खत्म हो जाते हैं। इस प्रकार के छाले 10 से 30 वर्ष की अवस्था के बीच में अधिक होते हैं. कुछ लोगों में ये बार-बार निकलते हैं.
एफ्थस अल्सर क्यों होते हैं इसका कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे फैक्टर्स हैं जो इनको बढ़ाते हैं – जैसे तनाव होना, मुंह के अंदर छोटी मोटी चोट लगना (दांतों से जीभ कट जाना या गाल कट जाना, अधिक गरम खाना या पेय पदार्थ, मिर्च, चूना आदि), महिलाओं में हार्मोन संबंधी गड़बड़, सिगरेट पीना बंद करना, भोजन के कुछ तत्वों से एलर्जी होना आदि (गाय का दूध, अंजीर, अनानास, पनीर, टमाटर, सिरका, सॉस आदि). बार बार एफ्थस अल्सर होने की बीमारी कुछ लोगों में आनुवंशिक भी होती है
2. आयरन, विटामिन B12, फोलिक एसिड एवं अन्य बी विटामिंस की कमी के कारण भी मुंह में छाले हो सकते हैं. जिन लोगों को विटामिन B12 की कमी नहीं है उनको भी विटामिन B12 लगातार देने से कभी कभी छाले होने की समस्या कम हो जाती है.
3. पेट की कुछ बीमारियों जैसे Coeliac disease (गेहूँ से एलर्जी होने के कारण खाना न पचना), Crohn’s disease (आँतों में छाले होना) आदि में मुँह में छाले हो सकते हैं.
4. कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट से भी मुंह में छाले हो सकते हैं – जैसे कैंसर की दवाएं, दर्द निवारक दवाएं, ऑस्टियोपोरोसिस के लिए प्रयोग की जाने वाली दवा Alendronate एवं हार्ट की दवा Nicorandil आदि. कभी-कभी किसी विशेष टूथपेस्ट या माउथवॉश में उपस्थित sodium Lauryl sulfate से एलर्जी होने के कारण भी मुंह में छाले हो सकते हैं.
5. मुंह के अंदर कैंडिडा (Candida) नाम का फंगल इन्फेक्शन या हरपीस (Herpes) नाम का वायरल इन्फेक्शन हो तो भी छाले हो सकते हैं.
6. लार कम बनने के कारण मुंह के सूखने से भी मुँह में छाले हो सकते हैं.
7. नुकीले दांत या डेंचर (नकली दांत) द्वारा लगातार चोट लगने से मुँह में छाला हो सकता है. जब तक उस दांत या डेंचर को ठीक न किया जाए तब तक यह छाला ठीक नहीं हो सकता. इस प्रकार के छाले लम्बे समय तक रहें तो कैंसर बनने का डर रहता है.
8. जो लोग तम्बाखू खाते हैं वे मसूढ़े व गाल के बीच देर तक तम्बाखू को दबाए रहते हैं. उन के मुँह में उसी स्थान पर छाले हो सकते हैं. अधिक समय तक तम्बाखू खाने से उस स्थान पर कैंसर को सकता है. 9. त्वचा की कुछ बीमारियां (जैसे Oral Lichen Planus, Pemphigus आदि), कुछ ऑटोइम्यून बीमारियां (जैसे SLE, Reavtive arthritis, Behcet syndrome आदि) एवं कुछ प्रकार के कैंसर .
10. AIDS (HIV infection) एड्स के बहुत से मरीजों में मुँह में अत्यधिक छाले होने की शिकायत होती है.
जिन लोगों को बार बार मुंह में छाले होते हैं उन्हें अपने चिकित्सक या किसी योग्य फिजीशियन को अवश्य दिखा लेना चाहिए.
जिन लोगों में छालों का कारण समझ में न आ रहा हो उनमें खून की जांचें और छाले की बायोप्सी (biopsy) कर के देखते हैं.
उपचार :
यदि मुँह में छाले होने का कोई कारण सामने आता है तो उसका इलाज करना होता है. यदि कोई कारण सामने नहीं आता है तो आमतौर पर ऐफ्थस अल्सर मान ही उनका इलाज करते हैं.
छालों की परेशानी को कम करने के लिए कुछ सामान्य उपाय निम्न हैं –
- तनाव कम करने का प्रयास करना चाहिए.
- मुंह के अंदर छोटी मोटी चोट लगने से बचने के लिए छोटे और मुलायम टूथब्रश से हल्के हल्के दांत साफ करना चाहिए और यदि कोई दांत नुकीला हो या डेंचर में गड़बड़ी हो तो उसको ठीक कराना चाहिए. अधिक नुकीली, करारी और मसालेदार चीजों को खाने से बचना चाहिए.
- जांचों में कोई कमी ना भी आए तो भी बहुत से लोगों को आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन B12 एवं अन्य बी विटामिनों को लेने से फायदा होता है.
- छालों पर Steroid एवं Amlexanox gel लगा सकते हैं।
- जिन लोगों को सिगरेट या तंबाकू छोड़ने के कारण छाले अधिक हो रहे हो उन्हें निकोटिन की चूइंग गम खाने से छालों में फायदा हो सकता है.
- कुछ लोगों को कुछ विशेष चीजें खाने से छाले हो सकते हैं. इस की जानकारी करने के लिए जब भी किसी को छाले हों तो उसके दो दिन पहले तक क्या क्या खाया है यह एक कागज पर लिख लेना चाहिए. इस तरह से कभी कभी कोई खाने का पदार्थ पकड़ में आ सकता है जिस से छाले हो रहे हों.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी