हमारे तंत्रिका तंत्र (nervous system) में दो तरह की तंत्रिकाएं (nerves) होती हैं. मोटर नर्व (motor nerves) तथा सेंसरी नर्व (sensory nerves). हमारा मस्तिष्क मांसपेशियों को कार्य करने के लिए जो भी आदेश देता है वह मोटर नर्व द्वारा मांसपेशियों तक पहुंचता है. सेंसरी नर्व हमारे शरीर की संवेदनाओं (जैसे देखना, सुनना, स्पर्श महसूस करना, गरम ठंडा या दर्द महसूस करना आदि) को मस्तिष्क तक ले जाती हैं.
हमारे चेहरे की मांसपेशियों को जो मोटर नर्व सप्लाई करती है उसे फेशियल नर्व (facial nerve) कहते हैं. दाहिनी ओर के चेहरे को दायीं फेशियल नर्व और बायीं ओर के चेहरे को बायीं फेशियल नर्व सप्लाई करती है. यदि किसी कारण से इनमें से किसी नर्व में कमजोरी आ जाए तो तो उस साइड के चेहरे पर फालिज़ (paralysis) का असर हो जाता है. इस फालिज़ का सब से कॉमन कारण है फेशियल नर्व में सूजन आना.
कारण : फेशियल नर्व में सूजन आने का सबसे कॉमन कारण है नर्व में एक विशेष वायरस द्वारा इन्फेक्शन होना. एक वैज्ञानिक के नाम पर इसको Bell’s Palsy भी कहते हैं. इसके अतिरिक्त कान में इन्फेक्शन होने या नर्व के आसपास के किसी भी अंग में सूजन या ट्यूमर होने से यदि नर्व पर दवाब पड़ता है तो भी चेहरे की फालिज़ हो सकती है. यदि किसी को आधे शरीर की फालिज़ (पक्षाघात, hemiplegia) होती है तो भी उस साइड के या दूसरी साइड के चेहरे पर कमजोरी आ सकती है जोकि थोड़ी अलग प्रकार की होती है.
लक्षण : जिस तरफ के चेहरे पर फालिज़ का असर होता है उधर की आंख ठीक से बंद नहीं होती. आंख बंद करने की कोशिश करने पर पुतली उपर की ओर पलट जाती है. उस साइड का मुँह भी ठीक से बंद नहीं होता. मुस्कुराने पर चेहरा दूसरी ओर को टेढ़ा हो जाता है.कुल्ला करने पर होठों के बीच से पानी निकल जाता है और गाल में हवा भरने पर उस साइड से हवा निकल जाती है. खाना खाते समय उस साइड के गाल और मसूढ़ों के बीच में खाना फंसता है. कुछ लोगों को उस साइड की जीभ पर स्वाद नहीं मालूम होता.
उपचार : अधिकतर लोगों में वायरल इन्फेक्शन द्वारा नर्व में सूजन आने से ही फेशियल पैरालिसिस होती है. इन में नर्व की सूजन कम करने के लिए स्टेरॉयड दवाएँ और एंटी वायरल दवाएँ एक सप्ताह के लिए दी जाती हैं. यदि इससे कोई लाभ न हो तो नर्व पर दवाब कम करने के लिए ऑपरेशन करना पड़ सकता है. यदि अन्य किसी कारण से नर्व में सूजन या उस पर दवाब हो तो उस कारण विशेष का इलाज करना होता है.
जब तक नर्व दोबारा काम करना आरम्भ करे तब तक आँख को सुरक्षित रखने के उपाय करना होते हैं. क्योंकि पलक झपकते समय आँख पूरी तरह बंद नहीं होती इसलिए बाहर जाते समय हवा और धूल से बचाव के लिए चश्मा लगाना चाहिए. रात में सोते समय उस साइड की आँख में कोई लुब्रिकेंट आई ड्राप या ऑइंटमेंट लगा कर आँख बंद कर के उस पर पट्टी बाँध देनी चाहिए.
गाल की मांसपेशियों को ठीक रखने के लिए फालिज़ वाली साइड में होंठ के कोने से कान तक अपनी उँगलियों से मसाज करते रहना चाहिए और गाल में हवा भरने की कोशिश करते रहना चाहिए.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी