थैलेसीमिया माइनर एक आनुवंशिक बीमारी है जिसमें हीमोग्लोबिन की मात्रा नॉर्मल से कुछ कम रहती है. इसको समझने के लिए हमें हीमोग्लोबिन की बनावट के विषय में कुछ बेसिक बातों को समझना होगा. जैसा कि हम सब जानते हैं हमारे रक्त में हीमोग्लोबिन नाम का एक पदार्थ होता है जोकि फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर उसको शरीर के विभिन्न भागों तक ले जाता है. हीमोग्लोबिन की रचना में एक हीम (haem) नाम का स्ट्रक्चर होता है और उसके साथ चार ग्लोबिन चेन (globin chains) होती हैं. वयस्क लोगों में नॉर्मल हीमोग्लोबिन में दो अल्फा और दो बीटा चेन होती हैं. इन के बनने की प्रक्रिया को अलग-अलग जींस (genes) कंट्रोल करते हैं. यदि बीटा चेन बनाने वाला जीन डिफेक्टिव है तो बीटा चेन कम बनती है और उसके फलस्वरूप हीमोग्लोबिन भी कम बनता है. इस कंडीशन को बीटा थैलेसीमिया कहते हैं. अल्फा चेन कम बनने की स्थिति को अल्फा थैलेसीमिया कहते हैं.
हमारे शरीर की कोशिकाओं (cells) के केंद्र (nucleus) में कुल 46 क्रोमोसोम होते हैं जिनमें से 23 हमें माता से और 23 पिता से प्राप्त होते हैं. अर्थात क्रोमोसोम्स के 23 जोड़े होते हैं. शरीर की हर एक क्रिया को क्रोमोसोम्स का एक जोड़ा नियंत्रित करता है. जितनी भी आनुवंशिक बीमारियां हैं वह इन्हीं क्रोमोसोम्स में स्थित जींस में डिफेक्ट होने के कारण होती हैं. यदि जोड़े में से एक जीन डिफेक्टिव होता है तो बीमारी हल्की होती है या वह व्यक्ति केवल उस बीमारी का कैरियर होता है (अर्थात उस व्यक्ति में बीमारी के लक्षण नहीं आते). यदि दोनों जीन डिफेक्टिव होते हैं तो बीमारी अधिक खतरनाक रूप में होती है.
हम में से बहुत से लोग बीटा थैलेसीमिया के कैरियर होते हैं लेकिन उनको यह जानकारी नहीं होती. उनको केवल खून की थोड़ी सी कमी होती है जिससे कोई विशेष लक्षण उत्पन्न नहीं होता. लेकिन उनके लिए यह जानकारी होना बहुत आवश्यक है कि वे बीटा थैलेसीमिया के कैरियर हैं. मान लीजिए एक परिवार में पुरुष बीटा थैलेसीमिया का कैरियर है अर्थात उसके एक जीन में बीटा थैलेसीमिया डिफेक्ट है लेकिन उसकी पत्नी के दोनों जीन नॉर्मल हैं. ऐसे में उनकी संतान में मां से दो में से एक जो भी जीन जाएगा वह नॉर्मल होगा पर पिता से जाने वाला जीन नॉर्मल भी हो सकता है और डिफेक्टिव भी हो सकता है. यदि पिता से नार्मल जीन पहुंचेगा तो वह संतान नॉर्मल होगी. यदि पिता से डिफेक्टिव जीन पहुंचेगा तो वह संतान पिता की तरह कैरियर होगी. बहुत से लोगों को इस विषय में कुछ मालूम ही नहीं पड़ता और पीढ़ी-दर-पीढ़ी उनकी संताने कैरियर हो सकती हैं. अब इसमें खतरा यह है कि यदि माता-पिता दोनों कैरियर हों और उनकी संतान में दोनों से डिफेक्टिव जीन पहुंच जाए तो संतान में थैलेसीमिया मेजर नाम का खतरनाक रोग हो जाएगा जिसमें संतान की जान को खतरा होता है.
इस जानकारी का महत्व यह है कि यदि किसी एक व्यक्ति में बीटा थैलेसीमिया ट्रेट (trait) अर्थात उसके कैरियर होने का पता चलता है तो पूरा वंशवृक्ष (family tree) बनाकर उसके माता पिता दोनों ओर के लोगों की जांच कराकर यह देखना चाहिए कि उस परिवार में कौन-कौन लोग कैरियर हैं. जो लोग कैरियर हैं उनके लिए दो बातें जानना आवश्यक है – एक तो यह कि यदि उनका विवाह किसी दूसरे कैरियर से होता है तो संतान में थैलेसीमिया मेजर का खतरा होता है, दूसरा यह कि जो लोग कैरियर हैं उनको हमेशा खून की थोड़ी कमी रहती है. उनकी ब्लड पिक्चर इस प्रकार की होती है कि उसमें आयरन की कमी होने का धोखा होता है. जिन चिकित्सकों को इस विषय में पूरी जानकारी नहीं होती वह ऐसे मरीजों को आयरन कि अनावश्यक डोज़ देते रहते हैं. आयरन अधिक पहुंचने से भी ऐसे लोगों में नुकसान हो सकता है. इस प्रकार के मरीजों में रक्त में आयरन की जांच कराने के बाद ही आयरन देना चाहिए.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी