Brain & Nervous System, Miscellaneous

चक्कर की बीमारी ( vertigo )

जब हम लोग घूमने वाले झूले में बैठते हैं या देर तक गोल गोल घूमते रहते हैं तो रुकने के बाद भी कुछ देर तक हमें घूमने का अहसास होता है. कभी कभी कुछ बीमारियों के कारण से भी हमें इस प्रकार का अनुभव हो सकता है कि जैसे हमारा सर तेजी से घूम रहा है या हमारे चारों ओर की चीजें तेजी से घूम रही हैं. कुछ लोगों को ऐसा अहसास होता है जैसे वे बहुत तेजी से नीचे गिरते जा रहे हैं.

चक्कर आने के बहुत से कारण होते हैं. हमारी गर्दन, कान का भीतरी भाग, और मस्तिष्क में इस प्रकार की तंत्रिकाएं (nerves) होती हैं जो कि शरीर का संतुलन बनाने में सहयोग करती हैं. इनमें से किसी में भी बीमारी होने से हमें चक्कर का अनुभव हो सकता है. सामान्यत: निम्न कारणों से हमें चक्कर महसूस होते हैं –

पोजीशनल  चक्कर (benign positional vertigo) :  चक्कर आने का यह सबसे सामान्य कारण है. कान के भीतरी भाग में वेस्टीब्युल नामक रचना होती है जो कि स्थिरता और गति की अवस्था में शरीर को संतुलन प्रदान करती है. इस में ओटोलिथ (otolith) नाम के छोटे कण होते हैं जिनके स्थान बदलने से बहुत तेज चक्कर का अनुभव होता है. यह चक्कर केवल पोजीशन बदलने पर आता है व थोड़ी ही देर में शांत हो जाता है. दोबारा पोजीशन बदलने पर फिर चक्कर आता है. इस के साथ उल्टियां आने और पसीना आने की शिकायत हो सकती है. कुछ दिनों में ओटोलिथ दोबारा अपने स्थान पर पहुँच जाते हैं तो चक्कर आने बंद हो जाते हैं. कुछ विशेष व्यायामों द्वारा ओटोलिथ को तुरंत उनके स्थान पर वापस पहुँचाया जा सकता है जिससे चक्कर में फ़ौरन राहत मिल जाती है.

मीनियर्स (Menier’s Disease) : इस बीमारी में वेस्टीब्यूल के अन्दर लिक्विड का प्रेशर बढ़ जाने से बहुत तेज चक्कर आते हैं और उल्टी आती हैं. पोजीशन बदलने से इन में अंतर नहीं आता और उस तरफ के कान से कम सुनाई पड़ता है. कुछ घंटे या दिन में यह अटैक अपने आप ठीक हो जाता है. बार बार अटैक पड़ने से सुनने की क्षमता स्थायी रूप से कम हो सकती है.  

सरवाइकल (cervical  spondylitis) :  प्राय: सभी लोगों में आयु बढ़ने के साथ गर्दन की रीढ़ की हड्डी में कुछ परिवर्तन आते हैं जिन्हें सर्वाइकल स्पोंडिलाईटिस के नाम से जानते हैं. एक्सीडेंट इत्यादि से यदि गर्दन में तेज झटका आया हो तो यह परेशानी और अधिक होती है. शरीर का संतुलन बनाने वाली जो नर्व्स गर्दन से सम्बंधित होती हैं उन में इस बीमारी से कुछ गड़बड़ी आ सकती है. मस्तिष्क को रक्त ले जाने वाली धमनियों में भी इस से रुकावट हो सकती है. इन कारणों से भी कुछ लोगों को चक्कर आ सकते हैं. सर्वाइकल स्पोंडिलाईटिससे चक्कर आते हैं यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता.

मस्तिष्क के कुछ विशेष भागों में खून का थक्का जमने, इन्फैक्शन होने या ट्यूमर होने से भी चक्कर आ सकते हैं. लेकिन ऐसा बहुत कम लोगों में होता है.

विशेष : आम तौर पर ब्लड प्रेशर कम या अधिक होने से चक्कर नहीं आते. शुगर कम होने पर चक्कर आ सकते हैं.

उपचार :  चक्कर आने के बहुत से कारण होते हैं जिन में से कुछ खतरनाक भी हैं इसलिए यदि किसी को चक्कर आते हों तो किसी योग्य फिजिशियन या न्यूरोलाजिस्ट को दिखाना चाहिए. आवश्यक जांचे कराने के साथ चिकित्सक चक्कर व उल्टी कम करने की दवाएं देते हैं जिनसे शीघ्र आराम मिलना आरम्भ हो जाता है.

मीनियर्स डिजीज़ के लिए कोई संतोषजनक उपचार उपलब्ध नहीं है. चक्कर कम करने की दवाओं से चक्कर कम महसूस होते हैं. 

बचाव : सरवाइकल स्पोंडिलाईटिस के मरीजों को लगातार गर्दन के आइसोमेट्रिक व्यायाम करना चाहिए, फोम का तकिया नहीं लगाना चाहिए, व अधिक देर तक गर्दन झुका कर काम नहीं करना चाहिए. चक्कर आना बंद हो जाएं तब भी व्यायाम व परहेज करते रहना चाहिए. टेढ़े मेढ़े बैठ कर टीवी देखने या फोन देखने से  भी चक्कर आने की संभावना बढ़ जाती है. सफर करते समय देर तक गर्दन झुका कर फोन आदि देखने या गर्दन मोड़ कर बाहर देखने से चक्कर आने की संभावना बढ़ जाती है (विशेषकर यदि गाड़ी की स्पीड बार बार कम ज्यादा हो रही हो).    पोजीशनल चक्कर की बीमारी खतरनाक नहीं होती. इस में आने वाले चक्कर कुछ समय बाद अपने आप कम हो जाते हैं, पर फिर बार बार आ सकते हैं. दवाओं से इसमें आराम मिलता है. लम्बे समय के लिए इसको ठीक करने के लिए कुछ विशेष व्यायाम डाक्टर की देख रेख में करने होते हैं.

                                डॉ. शरद अग्रवाल एम. डी.

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