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ऐथिरोस्क्लीरोसिस ( Atherosclerosis , रक्त वाहिनियों के भीतर चर्बी जमना )

 

बीस वर्ष की आयु के बाद सभी व्यक्तियों की धमनियों (arteries, खून ले जाने वाली नसों) में चर्बी जमना आरम्भ हो जाता है. चर्बी जमने से धमनी की दीवार में लचीलापन कम हो जाता है और रक्त बहने के रास्ते में रूकावट आने लगती है. चर्बी की इस प्रकार की जमावट को एथीरोमा (atheroma) बनना कहते हैं. हृदय को रक्त ले जाने वाली धमनियों (coronary arteries) में रुकावट होने से एन्जाइना होने लगता है. पैरों में रक्त ले जाने वाली धमनियों में रुकावट होने से पैरों में तेज दर्द होता है जो कि चलने पर बढ़ जाता है. मस्तिष्क को रक्त ले जाने वाली धमनियों में रुकावट होने से फालिज का असर होता है जोकि आरम्भ में हल्का और अस्थाई (transient ischaemic attacks) हो सकता है पर बाद में स्थाई हो जाता है. इसी प्रकार विभिन्न अंगों में रक्त ले जाने वाली धमनियों में रूकावट होने से अलग अलग प्रकार की खतरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं.

एथीरोमा के ऊपर प्लेटलेट नामक रक्त कणिकाएं जमा होने लगती हैं जिससे किसी भी समय उसके ऊपर खून का थक्का बन सकता है. इस प्रकार थक्का बनने से खून का दौरान एकदम रुक जाता है एवं हार्ट अटैक व पैरालिसिस का खतरा होता है.

जिन लोगों में कुछ खतरनाक कारण (रिस्क फैक्टर) साथ में होते हैं उनमें ऐथिरोस्क्लीरोसिस अधिक तेजी से होती है. सबसे अधिक परेशानी की बात यह है कि यह प्रक्रिया भीतर ही भीतर चुपचाप चलती रहती है और व्यक्ति को कोई तकलीफ नहीं होती है. जब हृदय रोग, फालिज रोगों के लक्षण सामने आते हैं तभी इसके विषय में पता चलता है.

सभी वयस्क लोगों को यह मान कर चलना चाहिए कि हमारी धमनियों (खून की नसों) में ऐथिरोस्क्लीरोसिस आरम्भ हो चुकी है. हमारी कोशिश यह होना चाहिए कि कैसे हम इसको बढ़ने से रोंकें. इसके लिए इन रिस्क फैक्टर को कंट्रोल करना आवश्यक है –

  1. सिगरेट बीडी व तम्बाकू का सेवन.
  2. डायबिटीज
  3. हाई ब्लड प्रेशर
  4. रक्त में कोलेस्ट्राल का बढ़ा हुआ होना.
  5. व्यायाम न करना.
  6. किसी करीबी रिश्तेदार को कम आयु में हृदय रोग या फालिज होना.

 

रोकथाम

सभी लोगों को अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार व्यायाम अवश्य करना चाहिए. इससे ऐथिरोस्किलरोसिस की संभावना कम हो जाती है. इस के अतिरिक्त हृदय, फेफड़े, मांसपेशियां, हड्डियां व जोड़ मजबूत होते हैं एवं डायबिटीज़ व ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में सहायता मिलती है. सिगरेट बीडी, तम्बाकू व गुल का सेवन बिल्कुल न करें. यह ऐथिरोस्किलरोसिस को बढ़ाता है व भाँति भाँति के कैंसर व अल्सर को निमंत्रण देता है.

जिन लोगों को डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर या बढ़ा हुआ कोलेस्ट्राल है उन्हें सख्त परहेज व नियमित इलाज द्वारा इन्हें कंट्रोल करना चाहिए. जिन लोगों को स्वयं कोई समस्या नहीं है पर जिनके करीबी रिश्तेदारों को हृदय रोग या फालिज आदि में से कोई रोग है उन्हें भी इन बीमारियों के होने का अधिक ख़तरा होता है इसलिए उन्हें समय समय पर आवश्यक जांचें करा लेनी चाहिए व परहेज करना चाहिए.

उपचार

ऐथिरोस्किलरोसिस को दवाओं से खत्म नहीं किया जा सकता. रोकथाम के उपायों द्वारा उसे बढ़ने से रोका जा सकता है. जिस धमनी (आर्टरी) में अधिक रूकावट होने से मरीज को ख़तरा हो रहा हो उसे खोलने के लिए विशेषज्ञ लोग बैलून एन्जियोप्लास्टी (आर्टरी के अन्दर गुब्बारा फुला कर एथीरोमा को दबा देना) एथीरेक्टमी (एथीरोमा को काट कर निकालना) या बाई पास सर्जरी (बंद आर्टरी को बाइपास करने के लिए दूसरी नस लगाना) आदि करते हैं.                                                                   डॉ. शरद अग्रवाल एम डी

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