क्षणिक बेहोशी ( fainting attack )
बहुत से लोगो को खड़े खड़े या बैठे बैठे अचानक बेहोशी आ जाती है जिससे वे गिर जाते हैं. गिरने के बाद उन्हें तुरंत ही होश आ जाता है. बेहोशी के समय चेहरा पीला पड़ जाना, अत्यधिक पसीना आना व हाथ पैर ठन्डे पढ़ जाना सामान्य लक्षण हैं. इस प्रकार के दौरे सामान्यत: निम्न परिस्थितियों में होते हैं –
- एक्सीडेंट में चोट लगने का दर्द होना
- शरीर के किसी अंदरूनी अंग में तेज दर्द होना
- गर्मी में बहुत देर तक खड़े रहना या बैठे रहना, विशेषकर यदि पानी कम पिया हो
- अपने शरीर या किसी और के शरीर से खून निकलता हुआ देखना. यहाँ तक कि कुछ लोगो को अस्पताल में किसी को खून चढ़ता देख कर भी बेहोशी आ सकती है
- नींद में उठकर टॉयलेट जाना तथा खड़े होकर पेशाब करना
- कभी कभी जोर से खांसी आने पर भी क्षणिक बेहोशी हो सकती है
इन सभी परिस्थितियों में रक्त का सर्कुलेशन बिगड़ जाता है तथा ग्रेविटी (गुरुत्वाकर्षण ) के कारण पैरों में अधिक रक्त प्रवाह होने लगता है. मस्तिष्क में कम रक्त पहुचने से व्यक्ति बेहोश हो जाता है और गिर जाता है, गिरते ही ग्रेविटी का असर समाप्त हो जाता है तथा मस्तिष्क में भी रक्त पहुचने लगता है जिससे उसे तुरंत होश आ जाता है.
इनमे से किसी कारण से जब किसी को बेहोशी होती है (विशेषकर बच्चो व युवकों में) तो उसे गंभीर बीमारी न मानकर सामान्य लक्षण माना जाता है और इसे vasovagal syncope कहते हैं. इसके लिए किसी उपचार की नहीं बल्कि कुछ सावधानियों की आवश्यकता होती है. जिस किसी को यह परेशानी हो चुकी हो उसे इन बातों का विशेष ध्यान रखना होता है –
- पानी अधिक पिएं व गर्मी के मौसम में नमक का सेवन अधिक करें. जो ब्लड प्रेशर के मरीज हैं वे गर्मी के मौसम में ब्लड प्रेशर की दवा की डोज़ पुनः सेट कराएं व नमक बहुत कम न लें.
- इस प्रकार के दृश्यों से बचे जिनमे खून बहता या टपकता हुआ दिखता हो या क्षत विक्षत शरीर दिखाई दें. रात में उठकर टॉयलेट जाना हो तो पहले एक मिनट तक बिस्तर पर बैठ कर शरीर को कस लें. एकदम ढीले शरीर से उठकर न जाएं. यदि संभव हो तो खड़े होकर पेशाब न करें. खड़े खड़े पैर की उँगलियों व पंजो को चलते रहें.
- जब भी कभी देर तक खड़े होना या बैठना हो (विशेषकर गर्मी में) तो उस दौरान पैरों की उँगलियों व पंजो को चलातें रहें. इससे ब्लड का सर्कुलेशन नीचे से ऊपर को होता रहेगा व पैरो में रक्त इकठ्ठा नहीं होगा.
- यदि आपके आस पास किसी को इस प्रकार की बेहोशी हो तो उसे फ़ौरन समतल पर लिटा कर उसके पैर ऊँचे कर देने चाहिए.
यदि वयस्क या वृद्ध लोगो में किसी को क्षणिक बेहोशी होती है तो यह किसी गंभीर ह्रदय रोग या मस्तिष्क की बीमारी का लक्षण हो सकता है. यदि लेटे लेटे बेहोशी होती है तो भी यह गंभीर बीमारी की सूचक होती है. इस प्रकार की परिस्थितियों में पूरी जांचें होना चाहिए. किसी भी आयु के लोगो में अधिक रक्त बहने या उलटी दस्त के कारण डिहाइड्रेशन होने पर भी क्षणिक बेहोशी हो सकती है. यदि ऐसा हो तो उन्हें तुरंत ग्लूकोज़ चढाने की आवश्यकता होती है. बुखार इत्यादि या किसी भी अन्य कारण से बहुत अधिक कमजोरी होने पर भी ऐसा हो सकता है.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी