Urine & Kidney Diseases

गुर्दों की बीमारी ( Kidney diseases )

गुर्दे हमारे शरीर के महत्व पूर्ण अंगों में से एक हैं.  गुर्दे बहुत से आवश्यक काम करते हैं जिन में से मुख्य हैं-

  1. शरीर के वेस्ट प्रोडक्ट जैसे यूरिया, क्रिएटिनीन आदि व अन्य हानि कारक पदार्थों को बाहर निकालना
  2.  शरीर में पानी की मात्रा एवं सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस आदि को नियंत्रित करना
  3. विटामिन डी को सक्रिय (activate) करना
  4. इरिथ्रोपाइटिन हार्मोन बनाना जोकि खून बनाने में सहायता करता है

गुर्दों में खराबी आने से इन सभी क्रियाओं में बाधा पड़ती है. गुर्दों में खराबी आने के सामान्य कारण निम्न हैं –

  1. विशेष कारणों से गुर्दों में सूजन होना (ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस)
  2. गुर्दों में बार बार इन्फैक्शन होना (पाइलोनेफ़्राइटिस)
  3. पथरी, प्रोस्टेट या अन्य कारणों से मूत्र के बहाव में रुकावट होने से लम्बे समय तक मूत्र का गुर्दे में रुका रहना (हाइड्रोनेफ्रोसिस)
  4. लम्बे समय तक शुगर या ब्लड प्रेशर बढ़ा रहना. ब्लड शुगर बढ़ी हुई रहने से गुर्दों में जो खराबी आती है उसे डायबेटिक नेफ्रोपैथी कहते हैं. आज के समय में यह गुर्दे खराब होने के प्रमुख कारणों में से एक है
  5. कुछ आयुर्वेदिक व देशी दवाएं (जैसे स्वर्ण भस्म, पारद लवण आदि) व कभी कभी पीने के पानी में आर्सेनिक या लैड आदि की अधिक मात्रा भी गुर्दों को खराब कर सकती है
  6. दर्द निवारक दवाओं के सेवन से भी गुर्दे खराब हो सकते हैं. कुछ कॉमन एंटीबायोटिक्स जैसे जेंटामाइसिन, एमिकासिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन व एक्स रे और सीटी स्कैन में प्रयोग होने वाला कंट्रास्ट मीडिया आदि से भी गुर्दों को नुकसान हो सकता है.

गुर्दे में कितनी खराबी है यह जानने के लिए रक्त में यूरिया व क्रिएटिनीन की जांच करते हैं. इसके अलावा मूत्र की जांच एवं पेट के अल्ट्रासाउंड से गुर्दे, मूत्राशय व प्रोस्टेट के विषय में महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती हैं.

सामान्यत: गुर्दे खराब हो जाने के बाद किसी भी इलाज से ठीक नहीं हो सकते. इसलिए गुर्दों की किसी भी बीमारी में योग्य चिकित्सक द्वारा उचित इलाज कराना चाहिए. जिन लोगों को डायबिटीज या ब्लड प्रेशर हो उन्हें इनको पूरी तरह कंट्रोल करना चाहिए. देशी दवाएं गुर्दे खराब कर सकती हैं एवं और भी बहुत से नुकसान पहुंचा सकती हैं इसलिए इनके प्रयोग से बचना चाहिए. गुर्दे की बीमारी में क्या परहेज़ करना है इसका निर्णय बीमारी की स्टेज एवं साथ में और क्या बीमारियाँ हैं यह देख कर किया जाता है. आम तौर पर गुर्दों की बीमारी के मरीजों को निम्नलिखित परहेज करना चाहिए –

  1. नमक कम खाना चाहिए. सेंधा नामक, काला नमक, लोना साल्ट व एलेक्ट्राल नहीं लेना चाहिए.
  2. जिन लोगों को पथरी की शिकायत है उन्हें पानी अधिक पीना चाहिए. गुर्दे की अन्य बीमारियों में पानी की मात्रा को नियंत्रित करना होता है. 24 घंटे में जितनी पेशाब होती है उससे कुछ अधिक पानी पीना होता है.
  3. सभी प्रकार के घी तेल व चिकनाई कम लेना चाहिए.
  4. खट्टी चीजें व जूस वाले फल, जूस, शिकंजी, कोल्ड ड्रिंक्स नहीं लेनी चाहिए.
  5. सिगरेट, तम्बाखू व शराब का सेवन नहीं करना चाहिए.
  6. दर्द निवारक दवाएं, कुछ एन्टीबायोटिक व ब्लड प्रेशर की कुछ दवाएं (रैमीप्रिल आदि) गुर्दों को खराब कर सकती हैं. बहुत सी दवाओं की डोज़ गुर्दा रोग में कम करनी होती है. इसलिए कोई भी दवा योग्य फिजीशियन या गुर्दा रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही खानी चाहिए.
  7. दूध व दूध से बनी चीजों, दालों, सूखे मेवों, व अंडा मीट आदि में प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है. दूध की चीजों में फॉस्फोरस भी अधिक मात्र में होता है. इनकी मात्रा डॉक्टर के बताए अनुसार ही लेनी चाहिए.                डॉ. शरद अग्रवाल (एम डी)

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