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कमज़ोरी दूर करने के लिए क्या खाएं ( Healthy diet )

 

प्रश्न:- हमें कमजोरी बहुत लगती है हम क्या खाएं कि ताकत आ जाए.

उत्तर:– प्रकृति में सबसे अधिक ताकतवर जानवर घोड़ा, हाथी व शेर हैं. ये सब क्या खाते हैं? घास, पत्ते या कच्चा मांस. आम लोगों को यह बहुत बढ़ा भ्रम होता है कि बादाम में, मौसमी के जूस में या टॉनिकों में ताकत होती है. ताकत किसी खाने की चीज या मंहगे टानिकों व कैप्सूलों से नहीं आती बल्कि संतुलित आहार (balanced diet) व नियमित व्यायाम (regular exercise) से आती है. सही मायनों में स्वस्थ होने का अर्थ केवल यह नहीं है कि हमें कोई बीमारी न हो. स्वस्थ होने का मतलब है हम प्रसन्न रहें. शरीर व मन में ताजगी रहे, बिना कारण थकान न हो, नींद भूख आदि ठीक हो, फालतू मोटापा न हो और लम्बे समय तक बीमारियों से बचे रहें. इसके लिए हमें निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए.

  1. संतुलित आहार : भोजन न कम हो न अधिक. कम भोजन से शरीर का विकास नहीं होता व शरीर कमजोर हो जाता है. अदिक भोजन से मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हृदय रोग, व गठिया इत्यादि रोग होने का डर होता है. सामान्य लोगों को तीन मुख्य भोजनों (नाश्ता, लंच और डिनर) के अतिरिक्त बीच बीच में कुछ नहीं खाना चाहिए, जिससे भोजन को पचने के लिए पूरा समय मिल सके व आँतों को आराम मिल सके. भोजन में प्रोटीन, विटामिन्स व मिनरल्स (आइरन, कैल्श्यम, जिंक इत्यादि) भरपूर मात्रा में हों. प्रोटीन हमें दूध व दूध से बनी वस्तुओं, दालें, चना, राजमा, अंडे व मीट मछली आदि से मिलता है. विटामिन व मिनरल हमें इन सभी खाद्य पदार्थों एवं फल व सब्जियों से मिलते हैं. कैल्शियम विशेषत: दूध से बनी चीजों से मिलता है. लोहे की कढ़ाही में सब्जियां बनाने से कुछ आइरन प्राप्त होता है व पीतल के भगौने का प्रयोग करने से सूक्ष्म मात्रा में जिंक व कॉपर प्राप्त हो सकते हैं.       वयस्क लोगों को कार्बोहाइड्रेट व चिकनाई कम लेना चाहिए क्योंकि यह मोटापा बढाते हैं और इनसे हमारे शरीर को कोई फायदा नहीं होता है. कार्बोहाइड्रेट हमें रोटी, आलू, चावल, चीनी व सभी मीठी वस्तुओं से मिलते हैं. चिकनाई के स्रोत हैं घी, मक्खन, क्रीम सभी प्रकार के खाद्य तेल व रिफाइंड. घी व रिफाइंड में बराबर कैलोरी होती है. बहुत से लोगों को यह भ्रम होता है कि रिफाइंड कम वजन बढाता है जोकि गलत है. बढ़ते बच्चों व अधिक शारीरिक मेहनत करने वाले लोगों को अधिक ऊर्जा चाहिए होती है. वे कार्बोहाइड्रेट व चिकनाई अच्छी मात्रा में ले सकते हैं.

पेट को साफ़ रखने के लिए भोजन में फाइबर (रेशा) की मात्रा भी पर्याप्त होनी चाहिए. रेशा हमें फलों सब्जियों व चोकर से मिलता है. जूस व सूप के स्थान पर हमें समूचे फल व सब्जियां प्रयोग करनी चाहिए. पानी अच्छी मात्रा में पीना चाहिए (बहुत अधिक नहीं). पानी को यदि खाना खाने के आधे घंटे पहले व दो घंटे बाद पिया जाए तो अधिक अच्छा रहता है.

भोजन के अतिरिक्त शरीर को ताकत देने के लिए निम्न बातों पर भी ध्यान देना चाहिए –

  1. नियमित व्यायाम : जैसे तेज चाल से चलना, दौड़ लगाना, साईकिल चलाना, जॉगिंग, रस्सी कूदना, खेल खेलना, तैरना, डांस करना इत्यादि शरीर के लिए अत्यधिक आवश्यक है. व्यायाम से हृदय, फेफड़ों, व मासपेशियों को शक्ति मिलती है, भोजन का पाचन सुचारू रूप से होता है, शरीर में स्फूर्ति आती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है एवं हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, डायबिटीज, फालिज, गठिया, पित्त की पथरी व कैंसर जैसे भयानक रोगों से बचाव होता है. सप्ताह में कम से कम पांच दिन लगभग तीस चालीस मिनट तक इतना व्यायाम करना चाहिए जिससे पसीना आ जाए.
  2. नशों का त्याग : पान मसाला, सुपारी, चाय व कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन करने से कुछ समय के लिए स्फूर्ति मालूम होती है लेकिन यह सभी शरीर को नुक्सान पहुंचाते हैं. तम्बाकू एक बहुत खतरनाक जहर है जो मुख, भोजन नली, आमाशय, हृदय, मस्तिष्क, व धमनियों (खून की नाड़ियों) को बहुत नुकसान पहुंचाता है. सिगरेट इन सभी अंगों के साथ साथ फेफड़ों के लिए भी बहुत हानिकारक होती है. शराब के सेवन से आमाशय, जिगर (लिवर) व मस्तिष्क को अत्यधिक हानि होती है. यदि मानसिक काम करते करते थकान मालूम हो तो चाय, कोल्डड्रिंक या तम्बाखू लेने के स्थान पर थोड़ा उठ कर टहलने या व्यायाम करने से थकान दूर हो सकती है. शारीरिक काम करने पर थकान हो तो थोड़ा आराम करने या झपकी लेने से थकान दूर हो सकती है. पीने की चीजों में लस्सी, मट्ठा, शिकंजी, शरबत या हलकी कॉफ़ी ले सकते हैं.
  3. योग्य चिकित्सक द्वारा परामर्श : यदि कोई परेशानी मालूम हो तो तुरन्त अच्छे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. अपने पारिवारिक चिकित्सक से समय समय पर आवश्यक जाचें करवा लेनी चाहिए. रोग प्रतिरोधक टीके समय पर लगवा लेने चाहिए.

डॉ. शरद अग्रवाल एम डी

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