Metabolism

मेटाबोलिक सिंड्रोम ( Metabolic Syndrome )

मेटाबोलिज्म का अर्थ है जीव जंतुओं के शरीर में भोजन से प्राप्त होने वाले ग्लूकोज़, फैटी एसिड्स एवं प्रोटीन्स द्वारा उर्जा प्राप्त करने और शरीर की वृद्धि करने वाली क्रियाएं. कुछ बीमारियों में शरीर की मेटाबोलिक क्रियाओं में गड़बड़ी होने लगती है. मेटाबॉलिक सिंड्रोम एक ऐसी ही बीमारी है. इसे हम आधुनिक युग की देन कह सकते हैं। आज के समय में जैसे जैसे लोगों में व्यायाम करने की प्रवृत्ति कम हो रही है और खान पान की खराबी के कारण मोटापा बढ़ रहा है, वैसे वैसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने की संभावना बढ़ती जा रही है। मोटापे से इसका सीधा संबंध है (विशेषकर पेट के और कमर के मोटापे से)। पेट में चर्बी की कोशिकाएं बढ़ जाने से कुछ विशेष प्रकार के हार्मोन एवं रसायन (chemicals) अधिक सक्रिय हो जाते हैं जो इंसुलिन को काम करने से रोकते हैं। इस अवस्था को इंसुलिन रेसिस्टेंस (insulin resisitance) कहते हैं। इन्सुलिन शरीर के मेटाबोलिज्म का मुख्य हॉर्मोन है. इसके काम न करने पर ही मेटाबोलिक सिंड्रोम में पाई जाने वाली अधिकतर गड़बड़ियां उत्पन्न होती है।

मेटाबोलिक सिंड्रोम की परिभाषा के अनुसार इसमें पाँच घटक मुख्य रूप से पाए जाते हैं – ब्लड ग्लूकोज़ का बढ़ना, ट्राइग्लिसराइड नामक चर्बी का रक्त में बढ़ना, एच डी एल कोलेस्ट्रॉल कम होना, ब्लड प्रेशर बढ़ना एवं पेट पर मोटापा बढ़ना (कमर का नाप पुरुषों में 90 सेंटीमीटर से अधिक एवं महिलाओं में 80 सेंटीमीटर से अधिक)। मेटाबॉलिक सिंड्रोम की डायग्नोसिस के लिए इन पांच में से कम से कम तीन का होना आवश्यक है। अधिकतर अध्ययनों से यह ज्ञात हुआ है कि जिन लोगों को उपरोक्त लक्षण होते हैं उनमें डायबिटीज एवं हृदय रोग होने की संभावना सामान्य के मुकाबले कई गुना अधिक होती है।
इन पांच लक्षणों के अतिरिक्त मेटाबॉलिक सिंड्रोम में कुछ और लक्षण भी मिल सकते हैं जैसे यूरिक एसिड का बढ़ना, लिवर में चर्बी इकट्ठी होना (non alcoholic fatty liver disease), अधिक खर्राटों की बीमारी (obstructive sleep apnea), ओवरी में बहुत सी सिस्ट बनना (polycystic ovary disease) एवं त्वचा में गहरे रंग के मखमल जैसे (dark velvety) निशान बनना जिन्हें Acanthosis nigricans कहते हैं। जिन लोगों को मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता है उनमें पैरालिसिस,  लिवर में चर्बी एवं कुछ कैंसर होने की संभावना भी अधिक होती है। जिन महिलाओं में मेटाबॉलिक सिंड्रोम होता है उनमें गर्भावस्था के दौरान एक्लैंपशिया (eclampsia) नामक खतरनाक बीमारी होने का डर अधिक होता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम क्यों होता है? –
खानपान की अनियमितता, अधिक फास्ट फूड का सेवन एवं व्यायाम न करना, इन कारणों से आजकल अधिकतर लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया है पेट पर जमा होने वाली चर्बी इंसुलिन के कार्य करने की क्षमता को कम करती है, और उसी से मेटाबॉलिक सिंड्रोम में पाई जाने वाली अधिकतर गड़बड़ियां उत्पन्न होती हैं। आनुवांशिक कारणों से भी कुछ लोगों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने की संभावना अधिक होती है।
जांचों में क्या मिल सकता है – पैथोलॉजी जांचों में ब्लड शुगर, ट्राइग्लिसराइड नाम की चर्बी, यूरिक एसिड एवं लिवर का एंजाइम एसजीपीटी बढ़े हुए मिल सकते हैं तथा एच डी एल कोलेस्ट्रॉल कम मिल सकता है। अल्ट्रासाउंड में लिवर में चर्बी एवं पॉलीसिस्टिक ओवरी मिल सकती हैं।

उपचार – मेटाबॉलिक सिंड्रोम का मुख्य इलाज है जीवनशैली में बदलाव (life style modification)। यदि ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ हो तो नमक का परहेज एवं ब्लड प्रेशर की दवाएं लेना आवश्यक है। ब्लड शुगर बढ़ी होने पर खाने पीने का परहेज एवं शुगर की दवाएं लेनी होती हैं। यूरिक एसिड बढ़ा हुआ होने पर उसके लिए परहेज करना होता है, और यदि यूरिक एसिड के कारण जोड़ों में दर्द होता हो तो यूरिक एसिड कम करने की दवाएं लेनी होती हैं। लिवर में चर्बी जमा होने पर उसके लिए परहेज करने होते हैं एवं अधिक चर्बी जमा होने पर या एसजीपीटी अधिक बढ़ा होने पर दवाएं भी खानी होती हैं। एच डी एल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने के लिए व्यायाम मुख्य रूप से आवश्यक है। Niacin नाम का विटामिन भी एचडीएल को बढ़ाने में सहायक होता है।

जीवनशैली में बदलाव

भोजन – भोजन में चीनी एवं चिकनाई बहुत कम करनी होती हैं एवं अन्य कार्बोहाइड्रेट भी कम करना आवश्यक है। फल, सब्जियां, अंकुरित अनाज, मलाई निकला हुआ दूध एवं दही तथा उबले अंडे अधिक मात्रा में लेने से भोजन के सभी आवश्यक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं।

व्यायाम –  जिन लोगों को हृदय रोग या सांस की बीमारी हो उन्हें डॉक्टर से सलाह लेकर ही व्यायाम करना चाहिए। जिन लोगों को वजन कम करना है  उन्हें प्रतिदिन 60 से 90 मिनट तक एरोबिक एक्सरसाइज करना चाहिए जैसे तेज चलकर टहलना, साइकिल चलाना, खेलना, दौड़ना, जोगिंग करना, तैरना या डांस करना आदि। जो लोग अधिक मोटापे से ग्रस्त हैं वे डॉक्टर से सलाह लेकर मोटापा कम करने की दवाएं भी ले सकते हैं।

जिन लोगों को मेटाबोलिक सिंड्रोम नहीं है उन्हें भी भोजन में परहेज एवं नियमित व्यायाम द्वारा अपने को स्वस्थ रखना चाहिए तथा समय समय पर आवश्यक जांचें करा लेना चाहिए.

 

Acanthosis nigricans
Acanthosis nigricans

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