चिकनगुन्या एक प्रकार का वायरल इन्फेक्शन है जो कि एडीज़ मच्छर द्वारा काटने से फैलता है। इस में तेज बुखार के साथ जोड़ों में भयंकर दर्द की शिकायत होती है एवं शरीर में लाल चकत्ते व खुजली भी हो सकती है। बुखार के साथ साथ ठंड लगना, अत्यधिक कमजोरी, मुंह का स्वाद ख़राब होना, भूख न लगना, घबराहट, बेचैनी, सर दर्द, शरीर दर्द आदि लक्षण आम तौर पर होते हैं। सामान्यतया हाथों, कलाइयों, पैरों, गट्टों व घुटनों में दर्द होता है। दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी को उठना – बैठना व चलना – फिरना मुश्किल हो जाता है। चिकनगुन्या के अतिरिक्त डेंगू बुखार भी एडीज़ मच्छर द्वारा
ही फैलता है। बरसात के बाद अगस्त के अंत तथा सितम्बर अक्टूबरमाह में एडीज़ मच्छर तेजी से बढ़ते हैं। इस कारण से ये दोनों बुखार इस मौसम में अधिक होते हैं। इन दोनों बुखारों के लक्षणों में कुछ समानताएं होने के कारण कभी कभी इन में भेद करने में परेशानी होती है पर खून कि जांचों व खास लक्षणों द्वारा इन की पहचान की जा सकती है। डेंगू में भी जोड़ों में दर्द हो सकता है पर यह इतना नहीं होता जितना चिकनगुन्या में होता है। चिकनगुन्या में प्लेटलेट्स थोड़ी सी कम हो सकती हैं पर इसमें प्लेटलेट बहुत कम हो कर रक्तस्राव(bleeding) का खतरा नहीं होता, न ही इसमें ब्लडप्रेशर बहुत कम हो कर शॉक सिंड्रोम होने का डर होता है। डेंगू में लिवर व पित्त कि थैली में सूजन, SGPT एंजाइम का बढ़ना, पेट व फेफड़ों में पानी आ जाना आदि लक्षण भी हो सकते हैं जो कि चिकनगुन्या में नहीं होते।
डेंगू व चिकनगुन्या के अतिरिक्त कुछ अन्य वायरल इन्फ़ेक्शंस में भी बुखार के साथ जोड़ों में दर्द व खुजली एवं लाल दाने हो सकते हैं। इन मेंRubella व Parvo virus मुख्य हैं। ये अपने आप ठीक होने वाले इन्फेक्शन हैं व इन से कोई खतरा नहीं होता। चिकनगुन्या में भी मृत्यु का कोई खतरा नहीं होता इसलिए इससे डरना नहीं चाहिए। इसमें होने वाला जोड़ों का दर्द भी दो तीन हफ्ते में ठीक हो जाता है।
चिकनगुन्या के लिए अभी कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है इसलिए एडीज़ मच्छरों पर नियंत्रण करना ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है। हमारे घरों में कूलरों, छत पर या पिछवाड़े में पड़े खाली बरतनों, गुलदस्तों व न प्रयोग होने वाली फ्लश लैट्रीनों में जो पानी एकत्र होता हैयह मच्छर उस पानी में ब्रीड करता है। आम तौर पर यह दिन में काटता है। क्योंकि डेंगू भी इन्हीं मच्छरों से फैलता है इसलिए इन मच्छरों को नियंत्रित करना और अधिक आवश्यक है। इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण इन्फेक्शन है Zika virus जोकि एडीज़ मच्छर से फैलता है। सौभाग्य से यह अभी हमारे देश में नहीं आया है लेकिन अगर कभी हमारे यहाँ आ गया तो एडीज़ मच्छरों की इतनी बड़ी फ़ौज के साथ मिल कर यह तबाही मचा सकता है।
चिकनगुन्या के इलाज के लिए कोई विशेष दवा उपलब्ध नहीं है। बुखार व शरीर दर्द के लिए पेरासिटामोल की गोली हर चार घंटे बाद ली जा सकती है। यदि डेंगू की संभावना न के बराबर हो तो जोड़ों के दर्द के लिए दर्द निवारक दवाएं (pain killers) भी ली जा सकती हैं। प्लेटलेट की कमी अपने आप ठीक हो जाती है इसके लिए बकरी के दूध, कीवी का फल, नारियल पानी आदि से कोई लाभ नहीं होता। पपीते के पत्ते व गिलोय से नुकसान हो सकता है इसलिए इनका प्रयोग हरगिज़ न करें। एसिडिटी व उल्टियाँ कम करने की दवाएं पेट की परेशानी को कम करती हैं। एंटीबायोटिक्स व एंटीवायरल दवाओं से कोई लाभ नहीं होता। बेटनीसोल व डेकाड्रोन आदि स्टेरॉयड दवाएं हानि पहुंचा सकती हैं इसलिए इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
डॉ. शरद अग्रवाल एम. डी., www.healthhindi.com