शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा जिसे कभी सर दर्द न हुआ हो. सर दर्द के बहुत से कारण हैं जिनमें से अधिकतर खतरनाक नहीं होते. आम तौर पर लोगों को हल्का सर दर्द होता है जोकि थोड़ी बहुत दर्द निवारक दवाओं से कंट्रोल हो जाता है. कुछ लोगों को इतना भयानक सर दर्द होता है की वे दर्द के दौरान कोई काम नहीं कर सकते. सर दर्द की समस्या इतनी महत्व पूर्ण है कि अधिकतर विकसित देशों में सर दर्द के इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में अलग हैडेक क्लिनिक चलाई जाती है. सर दर्द के अध्ययन के लिए इंटरनेशनल हैडेक सोसायटी बनाई गई है.
सामान्य लोगों के समझने के लिए सर दर्द के कारणों को मुख्यत: दो वर्गों में बांटा जा सकता है –
1. मस्तिष्क की बीमारियों के कारण होने वाले सर दर्द जो कि खतरनाक हो सकते हैं.
- सामान्य दर्द जो कि हलके हों या तेज खतरनाक नहीं होते.
सरदर्द जोकि खतरनाक हो सकते हैं –
(क) मस्तिष्क के इन्फैक्शन (मेनिन्जाइटिस, एन्केफ़ेलाइटिस, दिमागी मलेरिया आदि) जिन में सर दर्द के साथ बुखार, उल्टी व आम तौर पर बेहोशी भी हो सकती है.
(ख) ब्रेन हैमरेज (मस्तिष्क में रक्तस्राव) जिस में अचानक तेज सरदर्द के साथ उल्टियां हो सकती हैं, बेहोशी हो सकती है व फालिज का असर हो सकता है. हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों में यह अधिक होता है.
(ग) ब्रेन ट्यूमर के कारण होने वाला सरदर्द जिसमें उल्टियां दर्द से पहले आरम्भ हो सकती हैं, दर्द धीमे धीमे बढ़ता है व मस्तिष्क के जिस भाग में ट्यूमर है उस के कारण भी कुछ लक्षण साथ में हो सकते हैं.
(घ) आँख में ग्लुकोमा (काला पानी) के कारण होने वाला सरदर्द जिस में आँख की रोशनी जा सकती है. इस में आँख से पानी आना, आँख लाल होना, व धुंधला दिखाई देना हो सकता है.
यदि किसी व्यक्ति को पहली बार बहुत तेज दर्द उठा हो तो वह खतरनाक हो सकता है. जिन लोगों को बार बार तेज सर दर्द होता है उनको माइग्रेन की संभावना अधिक होती है.
सामान्य सरदर्द जो कि खतरनाक नहीं होते –
- मस्तिष्क की नसों में होने वाले तेज दर्द – जैसे माइग्रेन, क्लस्टर हैडेक
- सर की मांसपेशियों में होने वाला दर्द – जैसे टेंशन टाइप हैडेक
- वाइरल फीवर, मलेरिया, व अन्य बुखारों में होने वाला सर दर्द
- आँख, कान, दांत व साइनस में होने वाला दर्द भी सर में महसूस हो सकता है. सरवाइकल स्पान्डिलाइटिस का दर्द सर के पिछले भाग में हो सकता है. आँखे कमजोर होने या उन पर अधिक जोर पढने से भी सरदर्द हो सकता है. जुकाम के साथ होने वाले साइनस के इन्फैक्शन का दर्द सर के ऊपर, माथे पर या चेहरे पर हो सकता है. सर के आगे झुकाने पर यह दर्द और तेज हो जाता है.
- ब्लड प्रेशर बढ़ने से होने वाला सरदर्द (आम तौर पर बल्ड प्रेशर 200/110 से ऊपर होने पर). आम लोगों को गलत धारणा होती है कि ब्लड प्रेशर थोड़ा भी बढ़ने से सरदर्द होने लगता है.
- मानसिक रोगों (मुख्यत: डिप्रेशन) में होने वाला सरदर्द.
- ब्लड शुगर कम होने से होने वाला सरदर्द.
- एसिडिटी व गैस्ट्राइटिस से होने वाला सर में भारीपन व दर्द.
- दवाओं से हो सकने वाला सर दर्द (विशेषकर एंजाइना के लिए प्रयोग की जाने वाली सॉर्बिट्रेट आदि नाइट्रेट दवाएं व कुछ महिलाओ में गर्भ निरोधक गोलियां).
- सर की चोट के बाद होने वाला दर्द (post traumatic headache) जो कि लम्बे समय तक हो सकता है.
इनके अतिरिक्त सर दर्द के और भी बहुत से कारण होते हैं जिन में से आधिकांश खतरनाक नही होते.
मुख्यत: तीन प्रकार के सर दर्द ऐसे हैं जो तेज होते है व बार बार होने के कारण मरीज को परेशान करते हैं.
- तनाव जैसा सरदर्द (Tension type headache) इस में सर के दोनों ओर भारीपन व बंधा हुआ महसूस होता है एवं गर्दन में खिंचाव सा लग सकता है. यह दर्द धीमे धीमे शुरू हो कर बढ़ता है व दवा न खाने से लम्बे समय तक चलता है. यह किसी भी आयु में हो सकता है. मानसिक तनाव से इसके होने की सम्भावना बढ जाती है लेकिन तनाव का कोई विशेष कारण न हो तब भी यह हो सकता है. आराम करने, तनाव दूर करने, हल्की मालिश करने या हल्की दर्द निवारक दवाओं से यह ठीक हो जाता है. जिन लोगों को यह बार बार होता है उन्हें चिकित्सक कुछ विशेष दवाएं लम्बे समय तक देते हैं.
- माइग्रेन (Migraine) यह बार बार होने वाला तेज सरदर्द है जोकि तपकन के साथ (throbbing) व सामान्यत: आधे सर में होता है. इसके साथ उल्टियां हो सकती हैं, चलने व सीड़ी चढ़ने से ये बढ़ता है व दर्द के समय रोशनी और शोर बुरा लगता है. कुछ चीजें इसके अटैक को बढ़ा सकती हैं (जैसे रेड वाइन, कम सोना, अधिक देर भूखा रहना, मासिक धर्म, तनाव, परफ्यूम, चौंध, गर्भ निरोधक गोलियां आदि) व कुछ इसके अटैक को कम कर सकती हैं (जैसे नींद, उल्लास, गर्भावस्था आदि).
कुछ लोगों को एक विशेष प्रकार का माइग्रेन होता है जिसमे दर्द से पहले आँखों के सामने विचित्र प्रकार के काले धब्बे व रोशनियाँ दिखती हैं (migraine with aura). जिन लोगों को माइग्रेन की शिकायत होती है उन्हें उन चीजों से बचना चाहिए जो अटैक उत्पन्न कर सकती हैं. जिन्हें दर्द कभी कभी होता है व बहुत तेज नहीं होता उन्हें केवल दर्द के समय दर्द निवारक दवाएं एवं उल्टी की दवा खाने से काम चल जाता है. बहुत से मरीजों में सामान्य दर्द निवारक दवाएं काम कर जाती हैं जबकि कुछ लोगों को माइग्रेन के लिए विशेष रूप से प्रयोग की जाने वाली गोलियां या इंजेक्शन लेने पड़ते हैं. जिन लोगों को अटैक बार बार पड़ते हैं व तेज होते हैं उन्हें अटैक रोकने की दवाएँ लगातार लम्बे समय तक खानी होती हैं. इंटरनेट पर
ऐसी बहुत सी बेवसाइट हैं जिन पर माइग्रेन के रोगी उपयोगी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
- क्लस्टर हैडेक (Cluster headache) यह भी आधे सर में होने वाला तेज दर्द है जोकि माइग्रेन से भिन्न है व काफी कम लोगों को होता है. दर्द तपकन के साथ नहीं होता व दर्द की तरफ वाली आँख लाल होना, उससे पानी आना व नाक बंद होना जैसे लक्षण हो सकते हैं. रात में सोते समय दर्द हो सकता है व शराब पीने से इसकी संभावना बढ़ जाती है. यह दर्द कुछ दिन तक लगातार रोज एक ही समय पर होता है एवं फिर काफी दिनों तक नहीं होता है. इसका इलाज भी माइग्रेन से भिन्न है.
सर दर्द आम तौर पर साधारण कारणों से होता है पर कभी कभी यह किसी खतरनाक बीमारी का सूचक भी हो सकता है इस लिए इसको गंभीरता पूर्वक लेना चाहिए. यदि किसी को पहली बार तेज सर दर्द हो रहा हो तो उसे योग्य चिकित्सक को अवश्य दिखाना चाहिए. जिन लोगों को बार बार सर दर्द होता है उन्हें भी कभी तेज सर दर्द हो जोकि हमेशा होने वाले दर्द से भिन्न हो तो चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी