प्रश्न:– यदि परिवार में किसी को डायबिटीज़ की बीमारी हो तो परिवार के अन्य सदस्यों को इससे बचने के लिए क्या सावधानियां रखनी चाहिए?
उत्तर:– डायबिटीज़ एक अनुवांशिक रोग है अर्थात् माता पिता में से किसी को यह रोग है तो बच्चों में इसके आने की संभावना होती है. यह आवश्यक नहीं की सभी बच्चों में यह रोग आए. इस रोग के जींस तो जन्म के समय ही मनुष्य के भीतर आ जाते हैं परन्तु इसके लक्षण समान्यत: तीस चालीस की आयु के बाद ही प्रकट होते हैं. अभी ऐसी कोई जांच उपलब्ध नहीं है जिससे यह मालूम किया जा सके कि किस बच्चे में बड़े होने पर यह रोग होगा और किस में नहीं. जिन लोगों में इस रोग के जींस हैं उन में से जो लोग संतुलित भोजन लेते हैं, नियमित व्यायाम करते हैं व मोटे नहीं हैं उन में यह रोग देर से आरम्भ होता है तथा आसानी से कंट्रोल हो जाता है. इसके विपरीत मोटे लोगों में व जो लोग व्यायाम नहीं करते उन में यह जल्दी आरम्भ हो जाता है व मुश्किल से कंट्रोल होता है.
जिन के परिवार में किसी रक्त संबंधी को डायबिटीज़ है उन्हें युवावस्था से ही भोजन पर नियंत्रण रख कर अपने वजन को ठीक रखना चाहिए तथा नियमित व्यायाम करना चाहिए. इसके अतिरिक्त तीस बर्ष की आयु के बाद कम से कम वर्ष में एक बार ब्लड शुगर टेस्ट कराते रहना चाहिए. यदि बीच में कोई बीमारी हो तो भी ब्लड शुगर टेस्ट करा लेना चाहिए. डायबिटीज़ के प्रारम्भ में जब ब्लड शुगर थोड़ी सी ही बढ़ी होती है तो उसका कोई विशेष लक्षण नहीं होता लेकिन वह शरीर को हानि पहुंचाती है. नियमित जांच कराने से इसको समय पर डायग्नोस करके इस हानि से बचा जा सकता है.
परिवार में यदि किसी को अचानक डायबिटीज़ होने का पता चलता है तो सभी रक्त संबंधियों को कम से कम एक बार तो ब्लड शुगर टेस्ट करा लेना चाहिए. बहुत से लोग ब्लड शुगर टेस्ट कराने से इस लिए बचते हैं कि यदि ब्लड शुगर बढ़ी हुई निकल आयी तो दवा खानी पढेगी व परहेज करना पडेगा. यह एक अत्यंत मूर्खता पूर्ण विचार है. डायबिटीज़ यदि जल्दी कंट्रोल कर ली जाय तो बहुत अधिक परहेज नहीं करने होते तथा उससे होने वाले नुकसानों से भी पूरी तरह से बचा जा सकता है. यदि डायबिटीज़ देर से पकड़ में आती है तो उस समय तक शरीर को बहुत नुकसान हो चुका होता है (जोकि वापस नहीं हो सकता) और फिर परहेज भी बहुत सख्ती से करना होता है.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी