तंबाकू का सेवन मनुष्य की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। तंबाकू को प्रयोग करने के बहुत से तरीके हैं। धूम्रपान (सिगरेट, बीड़ी, सिगार, पाइप, चिलम व हुक्के) में तंबाकू को जलाकर उसके धुँए को मुंह व फेफड़े में खींचते हैं जहां से उसके विषैले पदार्थ (निकोटीन व अन्य) रक्त में शोषित (absorb) हो जाते हैं. खाने वाली तंबाकू को मुंह में रखने या पान में रखकर चबाने से भी विषैले पदार्थ रक्त में शोषित हो जाते हैं. बहुत से लोग पान मसाले में तंबाकू को मिलाकर खाते हैं जोकि और अधिक हानिकारक है क्योंकि पान मसाले में स्वयं भी बहुत से खतरनाक केमिकल्स होते हैं. गुल मंजन में भी तंबाकू मिला होता है जिसमें मौजूद निकोटीन मसूढ़ों पर रगड़ने से रक्त में पहुंच जाता है. सिगरेट, बीड़ी आदि के धुएँ में निकोटीन के अतिरिक्त हजारों अन्य केमिकल होते हैं जो कैंसर, ह्रदय रोग और फेफड़ों की बीमारियों को उत्पन्न कर सकते हैं
धूम्रपान व तंबाकू से होने वाली बीमारियां : तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों में से 40 प्रतिशत लोग कम उम्र में ही मृत्यु का शिकार हो जाते हैं. सिगरेट व तंबाकू के सेवन से निम्न बीमारियां होने का खतरा होता है –
- हृदय एवं रक्त वाहिनियों के रोग हृदय रोग, फालिज व ऐथिरोस्क्लेरोसिस के कारण होने वाले अन्य रोगों के लिए तंबाकू 6 महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर्स (डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, तम्बाखू का प्रयोग, व्यायाम न करना और परिवार में किसी को ह्रदय रोग होना) में से सबसे महत्वपूर्ण है. यह सबसे महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इसे सबसे आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है. तंबाकू के किसी भी रूप में सेवन से ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है. सिगरेट के धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड होने के कारण रक्त में कार्बोक्सिहीमोग्लोबिन बन जाता है जो कि एनजाइना को और बढ़ाता है. जिन मरीजों में एंजियोप्लास्टी या बाई पास किया गया है यदि वे सिगरेट व तंबाकू का सेवन न छोड़ें तो उनमें दोबारा ब्लॉकेड होने की बहुत अधिक संभावना होती है. जिन लोगों को हार्टअटैक या फालिज का अटैक हो चुका है वे यदि सिगरेट व तंबाकू का सेवन छोड़ देते हैं तो उनमें दोबारा अटैक होने की संभावना
काफी कम हो जाती है.
- कैंसर तंबाकू व सिगरेट का सेवन करने वालों में मुंह, गले, नाक, स्वर यंत्र (larynx), खाने की नली, आमाशय (stomach), पैंक्रियाज़, लिवर, बड़ी आंत, गुर्दा, मूत्राशय, गर्भाशय ग्रीवा (cervix of uterus) व रक्त कैंसर होने की संभावना अधिक होती है. तंबाकू या सिगरेट का जितना अधिक सेवनकिया जाए कैंसर की संभावना उतनी ही अधिक होती है. यदि शराब का सेवन भी साथ में किया जाए तो मुंह और खाने की नली के कैंसर की संभावना और अधिक बढ़ जाती है. तंबाकू का सेवन छोड़ देने से कैंसर की बढ़ी हुई संभावना काफी कम हो जाती है हालांकि उन लोगों से फिर भी अधिक ही रहती है जिन्होंने तंबाकू का सेवन कभी न किया हो.
- सांस की बीमारियां धूम्रपान करने वालों में ब्रोंकाइटिस और दमे की बीमारी बहुत अधिक देखने को मिलती है. क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के 90% मरीज
धूम्रपान करने वाले होते हैं. फेफड़ों में होने वाले इंफेक्शन टीबी व निमोनिया आदि की संभावना भी धूम्रपान करने वालों में अधिक होती है. धूम्रपान करने वाले अपना नुकसान तो करते ही हैं, उनकी इस मूर्खतापूर्ण हरकत के कारण जो वायु प्रदूषण होता है उससे सामान्य लोगों को भी सांस की बीमारियां अधिक होने लगती हैं. - गर्भावस्था महिलाएं यदि तंबाकू या सिगरेट का प्रयोग करती हैं तो गर्भावस्था व प्रसव में बहुत से कॉन्प्लिकेशन हो सकते हैं जिनमें मुख्य हैं प्लेसेंटा की बीमारियां, गर्भपात, समय पूर्व बच्चे का जन्म, बच्चे का वजन कम होना, बच्चों में खतरनाक निमोनिया होना व बच्चे की ग्रोथ कम होना आदि.
- अन्य बीमारियां तंबाकू व सिगरेट के सेवन से जो अन्य खतरे हैं वे हैं हाइपर एसिडिटी, एसिड रिफ्लक्स, पेप्टिक अल्सर, डायबिटीज जल्दी होने का खतरा, रयुमैटॉइड आर्थराइटिस, ऑस्टियोपोरोसिस, मोतियाबिंद, मीनोपॉज जल्दी होना, आंख के पर्दे की खराबी, चेहरे पर झुर्रियां, महिलाओं में पित्त की थैली की पथरी व पुरुषों में नपुंसकता. इसके अतिरिक्त तंबाकू और सिगरेट के सेवन से बहुत सी दवाओं का असर कम हो जाता है इसलिए बीमारियों के इलाज में व्यवधान उत्पन्न होता है.
धूम्रपान व तंबाकू का छोड़ना : बहुत से लोग जो किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे हैं उन्हें यह मालूम ही नहीं होता है की यह कितनी खतरनाक है इसलिए वे इसको छोड़ने के विषय गंभीरतापूर्वक नहीं सोचते. बहुत से लोग यह जानते हैं कि यह अत्यधिक नुकसानदेह है, वे इसे छोड़ने की कोशिश भी करते हैं, पर निकोटीन न मिलने पर उन्हें जो बेचैनी होती है उसके कारण वे इस को छोड़ नहीं पाते (विशेषकर पान मसाले के साथ तंबाकू मिलाकर खाने वाले). जो लोग डिप्रेशन के शिकार होते हैं उनको भी कोई भी नशा छोड़ने में अत्यधिक परेशानी होती है. सिगरेट व तंबाकू को छोड़ने के लिए कुछ विशेष दवाएं सहायता करती हैं जिनको डॉक्टर्स की देखरेख में ही लेना होता है. निकोटीन न मिलने से जो बेचैनी होती है (nicotine withdrawl) उसे कम करने के लिए निकोटीन च्युइंग गम ली जा सकती हैं जोकि हमारे यहाँ आसानी से उपलब्ध हैं. इसका छोटा सा टुकड़ा तोड़ कर मुँह में डालना पर्याप्त रहता है. इसको लेने से व्यक्ति सिगरेट के धुएँ, तम्बाखू की पत्ती व पान मसाले में मौजूद अन्य विषैले पदार्थों से बच जाता है. एक बार च्युइंग गम पर शिफ्ट होने के बाद धीरे धीरे उसको बंद किया जा सकता है.
अधिकतर लोग किशोरावस्था में ही सिगरेट ,बीड़ी व तम्बाखू का प्रयोग करना सीखते हैं. ऐसा वे कौतूहल वश या अन्य साथियों की देखा देखी करते हैं, पर फिर वे इसके आदी हो जाते हैं. आजकल की फैशन परस्त नई पीढी के लोगों में फ्लेवर्ड हुक्के और इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट का चलन जोर पकड़ रहा है. वे लोग समझते हैं कि ये चीज़ें नुकसान देह नहीं हैं, पर इन चीज़ों से भी बहुत से नुकसान हैं. धूम्रपान और तम्बाखू के इस जहर से समाज को बचाने के लिए डॉक्टर्स को भी पूरा प्रयास करना चाहिए एवं मास मीडिया को भी इस के विरुद्ध जम कर प्रचार करना चाहिए. स्कूली पाठ्यक्रम में शुरू से ही ऐसे पाठ शामिल करने चाहिए जो बच्चों को इन चीज़ों के खतरों से आगाह करें.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी