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दर्द की दवाएं ( Pain killers )

दर्द की  दवाएं  ( Pain killers )

बीमारी के जितने भी  लक्षण हैं उनमें से सबसे अधिक पाए जाने वाला लक्षण है दर्द. शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसने कभी दर्द अनुभव न किया हो. सर दर्द, दांत दर्द, कान व गले का दर्द, पेट दर्द, चोट का दर्द, बुखार आदि में होने वाला शरीर का दर्द इत्यादि ऐसे दर्द हैं जो कम समय के लिए होते हैं तथा कारण का उपचार करने व थोड़ी बहुत दर्द निवारक दवाएं खाने से ठीक हो जाते हैं. इसके विपरीत जोड़ों के दर्द, कमर और गर्दन के दर्द, नसों के दर्द तथा कुछ विशेष प्रकार के सर दर्द ऐसे दर्द होते हैं जो लंबे समय तक चलते हैं. इन को नियंत्रित करने के लिए दर्द निवारक दवाएं लंबे समय तक खानी पड़ती हैं. जिन लोगों को इस प्रकार का कोई दर्द है उन्हें निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए –

 

  1. दर्द निवारक दवाएं रोग को कम नहीं करती केवल दर्द को कम करती हैं. उन्हें खाते समय यह भ्रम नहीं पालना चाहिए कि आपका रोग ठीक हो रहा है.
  2. सब दर्द निवारक दवाएं कुछ न कुछ हानि पहुंचाती हैं.  विशेषकर ये  एसिड को बढ़ाती हैं जिससे पेट में अल्सर  बनने  का डर रहता है. इसके अतिरिक्त यह ब्लड प्रेशर को भी बढ़ाती हैं  व हृदय तथा गुर्दों पर असर डालती हैं.
  3. कुछ लोगों को दर्द निवारक दवाओं से एलर्जी हो जाती है.  एस्प्रिन, एनालजिन, बाजार में बिकने वाली दर्द की अन्य गोलियां व जुखाम की दवाओं आदि से ऐसा होने की संभावना अधिक होती है.
  4. दर्द की कोई भी दवा लगातार खाने से कुछ समय तक तो उसका असर होता है फिर वह काम करना बंद कर देती है. दवा की मात्रा बढ़ाने पर वह पुनः  कुछ दिनों तक काम करती है पर फिर  वह डोज  भी अपर्याप्त हो जाती है. इस प्रकार दर्द की दवा बढ़ाते जाने पर उस के हानिकारक प्रभाव बढ़ते जाते हैं और उसका असर कम होता जाता है. इसलिए दर्द की दवाएं कम ही खाना चाहिए चाहे दर्द को थोड़ा सहन करना पड़े. क्योंकि दर्द की दवाएं कुछ समय बाद काम करना कम कर देती हैं व दर्द को सहन करना ही पड़ता है इसलिए समझदारी इसी में है कि प्रारंभ से ही दर्द को थोड़ा बहुत सहन किया जाए व दर्द की दवाई कम खाई जाएं.
  5. यदि मजबूरी में दर्द की दवाएं लंबे समय तक खानी ही पड़े तो डॉक्टर की सलाह ले कर वही दवाएं खानी चाहिए जो सबसे कम नुकसान करें.
  6. कुछ  ठग लोग हकीमी या आयुर्वेदिक  दवाओ  के नाम पर  दर्द की दवाओ  की पुड़िया देते हैं. इनमें से अधिकांश में तेज दर्द निवारक दवाएं   व स्टेरॉयड (जैसे बैटरीसाल आदि) मिली होती हैं. ऐसी पुड़िया दर्द में तुरंत आराम पहुंचाती हैं पर लंबे समय में अत्यधिक नुकसान करती हैं. ऐसी   पुडिये  हरगिज ना लें.
  7. गर्भावस्था में दर्द की दवाएं विशेष रूप से हानिकारक हो सकती हैं. इसी प्रकार गुर्दे, जिगर व  हृदय रोगियों में दर्द की दवाएं खतरनाक साबित हो सकती हैं.
  8. बहुत से दर्द दवाओं के अतिरिक्त अन्य विधियों से भी कम किए जा सकते हैं.  जसे  सिकाई,  मलने की दवाएं,  व्यायाम, गर्दन का   कॉलर,  कमर  की बेल्ट  आदि.  दवाओ  के साथ इनका प्रयोग करने से दवा की मात्रा कम की जा सकती है.

डॉ. शरद अग्रवाल एम. डी.

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