Food & Fitness, Metabolism

मोटापा ( Obesity )

मोटापे का अर्थ है शरीर में आवश्यकता से अधिक चर्बी का इकट्ठा होना. जितनी कैलोरी हम खर्च करते हैं उससे अधिक जितनी भी कैलोरीज हमारे भोजन में होती हैं वे चर्बी में बदलकर शरीर में एकत्र हो जाती हैं. यदि किसी जीव को कुछ समय तक भोजन न मिले तो यही चर्बी ऊर्जा देने के काम आती है. आज के युग में क्योंकि मनुष्य के लिए भोजन की अधिकता है इसलिए ऐसी नौबत ही नहीं आती कि जमा की हुई चर्बी खर्च हो. लगातार चर्बी जमा होती जाने से ही मोटापा होता है. पहले केवल वयस्क लोगों में ही मोटापे की शिकायत मिलती थी लेकिन अब जंक फूड के अधिक प्रयोग के कारण बच्चों और किशोरों में भी मोटापे की शिकायत बढ़ती जा रही है.

किसी व्यक्ति के शरीर में चर्बी का कितना प्रतिशत है इसका अंदाज लगाने के लिए हम BMI कैलकुलेट करते हैं. BMI का फार्मूला है weight / (height)2 . यहाँ वज़न किग्रा में एवं लम्बाई मीटर में है. उदाहरण के लिए यदि किसी का वज़न 68 किग्रा एवं लम्बाई 165 सेमी (1.65 मी) है तो उसका BMI 68/(1.65)2 = 24.98 या लगभग 25 होगा. बीएमआई जितना अधिक होता है उतनी ही अधिक संभावना मोटापे से संबंधित बीमारियां होने की होती है. मोटे तौर पर हम यह समझ सकते हैं  कि 18.5 से कम बीएमआई का अर्थ है नॉर्मल से कम वजन अर्थात कुपोषण, 18.5 से 25 तक नॉर्मल वजन, BMI 25 से 30 तक अधिक वजन, 30 से 35 तक मोटापा, 35 से 40 तक मोटापे की बीमारी और 40 से ऊपर भयानक मोटापा. बीएमआई के अतिरिक्त कमर का नाप हमें इस बात का अंदाज देता है कि हमारे शरीर की चर्बी में कितनी चर्बी हमारे पेट पर इकट्ठा है. पेट पर इकठ्ठा होने वाली चर्बी से बीमारी का खतरा अधिक होता है. हमारे देश के लोगों में  पुरुषों में  90 सेंटीमीटर  और महिलाओं में  80 सेंटीमीटर से अधिक  कमर का नाप होना  पेट के मोटापे की निशानी है.

मोटे लोगों में निम्न बीमारियों का खतरा अधिक होता है

हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग (एनजाइना एवं हार्ट अटैक), डायबिटीज, यूरिक एसिड का बढ़ना एवं गाउट, घुटनों की ऑस्टियोआर्थराइटिस, कमर का दर्द, सांस फूलना व दमा, खर्राटे की बीमारी, लिवर में चर्बी इकट्ठी होना, पित्त की थैली की पथरी, एसिडिटी होना और तेजाब का खाने की नली में आना (acid reflux), हर्निया, बड़ी आंत का कैंसर, ब्रेस्ट और यूटरस का कैंसर, फालिज़ का अटैक, प्रेगनेंसी और डिलीवरी में कॉन्प्लिकेशन,  डिप्रेशन व समाज में अलग-थलग पड़ जाना, रक्त में चर्बी का बढ़ना, पॉलिसिस्टिक ओवरी आदि.

खाने में कैलोरी अधिक होने के अतिरिक्त कुछ अन्य कारण वजन बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं, जैसे थायराइड की बीमारी (hypothyroidism), हारमोंस की कुछ अन्य बीमारियां एवं कुछ दवाएं (डायबिटीज की दवाएं Pioglitazone, Sulfonylureas व Insulin, मानसिक रोगों की कुछ दवाएं एवं मिर्गी की कुछ दवाएं).

मोटापे का इलाज : जिन लोगों का वजन नॉर्मल से अधिक है उनको इलाज की आवश्यकता है या नहीं यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें उस मोटापे की वजह से कोई नुकसान हो रहे हैं या नहीं. यदि हम केवल बीएमआई के हिसाब से देखें तो बहुत से ऐसे लोग मिलेंगे जिनका बीएमआई अधिक होगा पर उन्हें कोई मोटापा जनित रोग नहीं होता. ऐसे लोगों में वजन पर नियंत्रण रखने के लिए थोड़ा बहुत प्रयास करना पर्याप्त रहता है. इसके विपरीत जिन लोगों को अधिक वजन के कारण डायबिटीज, ब्लड प्रेशर व हृदय रोग आदि हो रहे हैं उन्हें वजन कम करने के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए.

वजन कम करने के लिए पहला स्टेप है जीवनशैली में बदलाव, अर्थात भोजन पर नियंत्रण एवं नियमित व्यायाम. इसके अतिरिक्त यदि वजन बढ़ाने का कोई अन्य कारण (जैसे थायराइड या दवाएं) साथ में हो तो उसका इलाज भी करना होता है. यदि इससे अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता तो वज़न कम करने वाली दवाएं साथ में देनी होती हैं. जिन लोगों में इन सब उपायों से वजन कम नहीं होता और बहुत अधिक वजन के कारण उन्हें अधिक खतरा है उनमें वजन कम करने वाली सर्जरी (Bariatric surgery) करनी होती है.

भोजन में बदलाव का अर्थ है खाने में कैलोरी की मात्रा को कम करना. इस के लिए सभी तरह की चिकनाई घी, तेल, मक्खन, रिफाइंड ऑयल, ऑलिव ऑयल, क्रीम आदि को बहुत कम करना होता है एवं चीनी की मात्रा को भी बहुत कम करना होता है. अन्य कार्बोहाइड्रेट जैसे गेहूं, चावल, आलू, मक्का आदि को कम करना होता है. भोजन में फलों व सब्जियों एवं दालों का अधिक प्रयोग करना होता है. मलाई निकले हुए दूध एवं उस से बने दही व पनीर का इस्तेमाल अधिक मात्रा में कर सकते हैं. सामान्य कोल्ड ड्रिंक्स के स्थान पर डाइट कोक, नीबू पानी या मट्ठे का प्रयोग करना चाहिए. खाना खाने से पहले  सलाद और फल खाने से एवं  अधिक मात्रा में पानी पीने से  खाने की मात्रा को कम किया जा सकता है. मोटापे के साथ यदि कोई और बीमारी भी हो तो उसके अनुसार भी परहेज करना होते हैं. जैसे जिन लोगों को डायबिटीज भी होती है उनको डायबिटीज के लिए भी परहेज करने होते हैं (जो कि लगभग इसी प्रकार के होते है). यदि किसी को  यूरिक एसिड एवं गाउट, ब्लड प्रेशर  एवं हृदय रोग  या कोलेस्ट्रॉल बढ़ा होने की बीमारी होती है  तो उसके अनुसार भी परहेज करने होते हैं.  मोटापे के लिए परहेज करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है  कि खाने में आवश्यक पोषक तत्व  कम न हो जाएँ (प्रोटींस,  विटामिन, कैल्शियम, आयरन व अन्य मिनरल्स  आदि).

व्यायाम : वजन कम करने के लिए जितना महत्व कम कैलोरी लेने का है उतना ही महत्व अधिक कैलोरी खर्च करने का भी है. सभी प्रकार के एरोबिक व्यायाम इस में सहायता करते हैं, जैसे – तेज चाल से चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, खेलना, तैरना, डांस करना, जॉगिंग करना आदि. व्यायाम करने से वजन कम करने के अतिरिक्त और भी बहुत से फायदे होते हैं जैसे डायबिटीज कंट्रोल, ब्लड प्रेशर कंट्रोल, कोलेस्ट्रॉल एवं ट्राइग्लिसराइड कम होना, हृदय रोग, सांस व फेफड़ों के रोग, मांसपेशियों और हड्डियों व जोड़ों के रोग कम होना आदि. हृदय रोगियों को एवं इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज के मरीजों को डॉक्टर की सलाह ले कर ही व्यायाम करना चाहिए.

मोटापा कम करने के लिए दवाएं : यदि थायराइड की बीमारी हो तो उसकी प्रॉपर दवाएं लेना आवश्यक है.  जिन लोगों को  डायबिटीज हो  उनको  डायबिटीज की दवा  मेटफॉर्मिन  एवं  वोगलीबोस  का प्रयोग करना चाहिए. ये दवाएं  वजन कम करने में सहायक होती हैं. Liraglutide एवं Dulaglutide इंजेक्शन द्वारा दी जाने वाली डायबिटीज की दवाएं हैं जिनसे डायबिटीज कंट्रोल करने के साथ वजन कम करने में काफी सहायता मिलती है. यदि किसी व्यक्ति का वजन केवल परहेज व व्यायाम से कम नहीं हो रहा है तो उसे वजन कम करने की दवाएं दी जा सकती हैं. वजन कम करने की दवा ओर्लिस्टेट भोजन में मौजूद चिकनाई के पाचन को रोकती है. दूसरी कुछ दवाएं भूख लगने की इच्छा को कम करती हैं लेकिन वे अभी भारतीय बाजार में उपलब्ध नहीं है. बहुत सी हर्बल दवाएं हमारे देश में उपलब्ध हैं पर वह कितना असर करती हैं यह कहना मुश्किल है. इन सब दवाओं से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं यह भी नहीं मालूम है।

बैरिएट्रिक सर्जरी :  जिन लोगों का बीएमआई 40 से ज्यादा है  या जिन लोगों में अत्यधिक मोटापे के साथ गंभीर बीमारियां भी हैं उनमें  इस प्रकार की सर्जरी की जा सकती है . सर्जरी के बाद मोटापा कम होता है और गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है.

जिन लोगों को मोटापा कम करने के लिए दवा दी जाती है या सर्जरी की जाती है उनको भी भोजन पर नियंत्रण रखना होता है और नियमित व्यायाम करना होता है.

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