गैस के विषय में आम तौर पर लोगों में बहुत सी भ्रांतियां पाई जाती हैं. लोग समझते हैं कि जो गैस पेट में बनती है वह शरीर में कहीं भी जा सकती है. उन्हें कहीं भी तकलीफ हो वह इसे गैस के कारण ही समझते हैं. डकार आने या गैस पास होने से उन्हें आराम मिलता है. कुछ लोग बताते हैं कि उनके शरीर में गैस भर गई है. उनके शरीर को कहीं भी दबाने पर उन्हें डकारें आती हैं.
गैस को समझने के लिए हमें पहले पाचन तंत्र (digestive system) के बारे में कुछ समझना होगा. हम जो कुछ भी खाते पीते हैं वह भोजन नली के द्वारा आमाशय (stomach) में पहुंचता है. आमाशय में तेजाब (acid) व पाचक रस (digestive enzymes) होते हैं जो भोजन को पचाते हैं. इस प्रक्रिया में थोड़ी गैस बन सकती है जो कि डकार द्वारा बाहर निकल जाती है. यदि भोजन में तेजाब बनाने वाली चीज़ें चाय, कॉफी, मिर्च, खटाई, जूस, तंबाकू, शराब, तली चीजें आदि अधिक मात्रा में हो तो अधिक तेजाब व गैस बनती है और सीने में जलन व खट्टी डकारें आ सकती हैं. जिन लोगों को पित्त की थैली (gall bladder) में पथरी होती हैं उन्हें भी गैस एवं डकारें अधिक आती हैं.
आमाशय में तीन चार घंटे रहने के बाद भोजन छोटी आँत में पहुंच जाता है. यहां उसमें पित्त और अन्य पाचक रस मिल जाते हैं जोकि भोजन का और अधिक पाचन करते हैं. पाचन के अलावा आँतें भोजन के उपयोगी तत्वों को सोख कर शरीर में पहुंचाती हैं. आंतों में कुछ प्राकृतिक बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो भोजन के कुछ तत्वों का फर्मेंटेशन करते हैं. इस प्रक्रिया में गैस उत्पन्न होती है जो कि मलद्वार (anus) से बाहर निकलती है. इस प्रकार की गैस में हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) एवं मीथेन गैसें होती हैं. यदि आंतों में कोई इंफेक्शन हो या आंतों की चाल गड़बड़ होने के कारण भोजन अधिक देर तक आंतों में रुके तो बैक्टीरियल फर्मेंटेशन अधिक होता है. इससे अधिक गैस बनती पास होती है एवं उसमें बदबू भी आती है. यदि किसी कारण से आंतों में रुकावट होती है तो मलद्वार से गैस पास होना बंद हो जाती है. क्योंकि आंतों में रुकावट अक्सर गंभीर कारणों से होती है इसलिए यदि गैस पास होना बंद हो जाए तो इसे खतरनाक लक्षण मानते हैं.
आमाशय व आंतों में जो भी गैस बनती है वह वहां से सिर, हाथ, पैर या शरीर के किसी और अंग में नहीं जा सकती. यदि किसी को ऐसा लगता है तो वह केवल भ्रम ही होता है.
कुछ लोगों को एक विशेष प्रकार की परेशानी होती है जिसे हवा निगलना (aerophagia) कहते हैं. इसमें व्यक्ति अनजाने में ही थूक निगलने के साथ-साथ थोड़ी सी हवा भी निगल लेता है और फिर डकार के रूप में उसे निकालता है. यह डकार आमाशय से नहीं बल्कि भोजन नली से आती है (इसमें ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन गैसें होती हैं). ऐसे लोग बार बार डकार की आवाज निकालने में एक्सपर्ट हो जाते हैं. वे जानबूझकर ऐसा नहीं करते पर इस प्रकार से डकार लेने पर उन्हें कुछ दिमागी आराम (psychological relief) महसूस होता है इसलिए वह ऐसा करते हैं. इसी प्रकार के लोगों को कहीं भी दबाने पर डकारें आती हैं. ऐसे मरीजों को यह समझाना बहुत कठिन होता है कि यह कोई बीमारी नहीं केवल एक भ्रम है. खानपान की खराबी के कारण इनमें से ज्यादातर लोगों को एसिडिटी की परेशानी भी साथ में होती है. उन्हें कभी एसिडिटी की डकारे आती है व कभी हवा निगलने वाली नकली डकारें आती हैं जिनमें वह अंतर नहीं कर पाते. यदि किसी व्यक्ति को घबराहट हो रही हो तो उस दौरान भी थूक निगलने, हवा निगलने व ऐसी ही डकारें लेने की टेंडेंसी बढ़ जाती है.
आयुर्वेद में कुछ बीमारियों को वात रोग या वायु रोग कहा जाता है. सामान्य लोग डकार अधिक आने या वायु पास होने को वायु रोग मानते हैं. लैटिन भाषा में आमाशय को गैस्ट्रोस कहा जाता है. इसीलिए मेडिकल लैंग्वेज में आमाशय में सूजन को गैस्ट्राइटिस एवं अल्सर को गैस्ट्रिक अल्सर कहते हैं. आम लोग समझते हैं गैस्ट्रिक का मतलब है गैस से संबंधित. इसी का वे आयुर्वेद के वात रोग के साथ मिलान कर लेते हैं और गैस की बीमारी नाम का शब्द ईजाद कर लेते हैं.
उपचार:- गैस की परेशानी कोई अलग बीमारी नहीं है. डकारे अधिक आने का कारण एसिडिटी, पित्त की थैली में पथरी या घबराहट के कारण हवा निगलना (aerophagia) इनमें से कुछ भी हो सकता है. जिन लोगों को एसिडिटी के कारण अधिक डकारें आती हैं उन्हें खाने में परहेज करना होता है व एसिड को कम करने वाली दवाएँ खानी होती हैं. पित्त की थैली में पथरी हों तो खाने में चिकनी चीज़ों का परहेज़ करना होता है तथा इस परेशानी को स्थायी रूप से दूर करने के लिए ऑपरेशन कराना होता है.
मल द्वार से अधिक गैस पास होने के कई कारण होते हैं. अपने देश में इसका सबसे मुख्य कारण है अमीबा द्वारा बड़ी आंत का इन्फेक्शन (amebic colitis). जिन लोगों को अमीबिक कोलाइटिस के कारण अधिक गैस पास होती है उन्हें उसकी दवा खानी होती है. च्युइंग गम व एंटासिड दवाओं में प्रयोग होने वाली सोर्बिटोल शुगर से भी कुछ लोगों को अधिक गैस बनती है. घी, तेल, मसाले, कोला ड्रिक्स एवं मांसाहार से कुछ लोगों को गैस अधिक बनती है. यदि ऐसा हो तो इनका परहेज करना चाहिए.
डॉ. शरद अग्रवाल एमडी