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स्वप्नदोष व धात ( Nightfall & Spermatorrhoea )

वीर्य के विषय में गलत धारणाएँ
14 – 15 साल की आयु में आने के बाद बच्चों में किशोरावस्था के परिवर्तन आने लगते हैं. जनन अंगों का आकार बढ़ जाता है और मूत्र नली से कभी कभी चिपचिपे पदार्थ का स्राव होने लगता है. सेक्स के प्रति मन और शरीर का रुझान बढ़ जाता है. ऐसा इसलिए होता है कि प्राकृतिक रूप से इस आयु में कुछ हार्मोन्स शरीर में बनने लगते हैं. इन हार्मोन्स के प्रभाव से जनन अंगों (genital organs) का आकार बढ़ जाता है व वृषण (testis) के अन्दर वीर्य (semen) का निर्माण होने लगता है. किशोरावस्था से वृद्धावस्था तक वीर्य बनने का यह सिलसिला लगातार चलता रहता है. वीर्य को एकत्र करने के लिए प्रकृति ने सेमिनल वेसिकिल नाम के वीर्य कोष बनाए हैं जिनकी कुल क्षमता 5 – 6 मिली. के लगभग होती है. इस से अधिक वीर्य शरीर में एकत्र नहीं हो सकता.
वीर्य क्योंकि रोज बनता है व उसको रखने की कोई जगह शरीर में नहीं है इसलिए उसका निकलते रहना बिलकुल स्वभाविक बात है. चाहे वह मूत्र में घुल कर निकलता रहे व दिखाई न दे, या वह स्वप्नदोष के रूप में निकले, या हस्त मैथुन द्वारा निकाला जाय या सम्भोग द्वारा निकले.
“किसी भी प्रकार से वीर्य का बाहर निकलना शरीर के लिए हानिकारक नहीं है.”
पुराने समय में लोगों का यह विश्वास था कि वीर्य खून से बनता है व इसके निकल जाने से शरीर में कमजोरी आती है. लोग मानते थे कि हस्त मैथुन करने से व स्वप्नदोष होने से यौन शक्ति कम हो जाती है. आज भी इस भ्रम का शिकार होकर बहुत से युवक हीन भावना के शिकार हो जाते हैं. वीर्य निकलने से उनका नुक्सान नहीं होता लेकिन इस तनाव के कारण वे कमजोर हो जाते हैं. अपने देश में ठगों और नीम हकीमों की भरमार है. वे इन युवकों को नपुंसकता का डर दिखा कर उनसे खूब पैसा ऐंठते हैं व जीवन भर के लिए उनके मन में हीन भावना भर देते हैं. किशोरावस्था में वीर्य का निकलना व स्वप्नदोष होना बिलकुल सामान्य लक्षण है. जिस किसी को यह न होते हों उसे डाक्टर को दिखा कर यह जांच करानी चाहिए कि उसके अन्दर कोई कमी तो नहीं है.
विवाहित लोग भी कभी कभी इस भ्रम का शिकार हो जाते हैं कि उनका वीर्य निकल रहा है और इस कारण से उनके अन्दर यौन संबधी कमजोरी आ रही है. आम बोल चाल की भाषा में इसे धात निकलना कहते हैं. बहुत से लोग समझते हैं कि इस कारण उन्हें शीघ्र पतन होने लगा है. कुछ लोगों में चिंता के कारण सेक्स से रूझान खत्म हो जाता है. इस प्रकार के लोग भी ठगों के चक्कर में पड़ जाते हैं. “इस प्रकार की परिस्थितियों में योग्य चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए” क्योंकि वे ही यह समझ सकते हैं कि किस व्यक्ति को कोई रोग है व कौन केवल वहम का शिकार है.
कुछ बीमारियाँ ऐसी होती हैं जिन में यौन शक्ति कम हो जाती है. अनियंत्रित डायबिटीज इनमे से मुख्य है. कुछ दवाएं जैसे ब्लड प्रेशर के लिए प्रयुक्त होने वाली बीटा ब्लाकर्स भी यौन शक्ति को कम करती हैं. पर किसी भी आयु में यौन शक्ति को कम करने वाले सबसे प्रमुख कारण हैं अंधविश्वास, चिंता और वहम. योग्य चिकित्सक से परामर्श करके ही आप इस विषय में सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं. डा. शरद अग्रवाल एमडी