प्रश्न : हमारी स्मरण शक्ति (याददाश्त, memory) कमजोर होती जा रही है. इसका क्या कारण है? इसके लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर : इसका सबसे बड़ा कारण है कि हम अपने मस्तिष्क (दिमाग, brain) से उसकी क्षमता से अधिक काम लेते हैं. हम जो कुछ भी देखते सोचते व सुनते हैं उससे हमारे मस्तिष्क में इलैक्टोकेमिकल रिएक्शन्स (electrochemical reactions) होती हैं. इन रिएक्शन्स का काफी बड़ा हिस्सा हमारे मस्तिष्क की कोशिकाओं (neurons) में उसी प्रकार रिकार्ड हो जाता है जैसे वीडियो कैसेट पर फिल्म या कंप्यूटर की डिस्क पर डेटा (data) रिकार्ड होता है. जिस प्रकार कंप्यूटर की हार्ड डिस्क कितनी भी बड़ी क्यों न हो उसकी डेटा एकत्र करने की सीमा होती है, उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क की भी अलग अलग अनुभवों को रिकार्ड करने की एक सीमा है.
हम जो कुछ भी पढ़ते सुनते व देखते हैं वह सब हमारे न चाहते हुए भी हमारे मस्तिष्क में स्थान घेरता है. जिस प्रकार कंप्यूटर की हार्ड डिस्क भरते जाने से वह धीमा होने लगता है उसी प्रकार हमारे मस्तिष्क की कार्य क्षमता भी कम हो जाती है.
बहुत सी बातें ऐसी होती हैं जो हमारे दिमाग की कोशिकाओं में रिकार्ड होती हैं लेकिन हम उनको याद (recall) नहीं कर पाते. जैसे जब हम बहुत पहले देखी हुई कोई फिल्म दोबारा देखते हैं तो हमें याद आता है कि यह सीन इसमें था लेकिन वैसे वो सीन हमें याद नहीं होता. इसका अर्थ यह है कि वह स्मृति हमारे मस्तिष्क में कहीं पड़ी हुई थी लेकिन हमारे चेतन मस्तिष्क (conscious mind) में नहीं थी. इस प्रकार की लाखों करोड़ों निष्क्रिय स्मृतियाँ (non recallable memories) भी हमारे मस्तिष्क में स्थान घेरती हैं. कंप्यूटर में से हम फालतू फ़ाइलें हटा सकते हैं लेकिन मस्तिष्क में कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है.
याद दाश्त बढाने वाली दवाएं: कम्पटीशन के युग में सभी लोग यह चाहते हैं कि उनकी स्मरण शक्ति अच्छी हो. लोगों में यह अन्धविश्वास है कि दवाओं से याददाश्त बढ़ सकती है. विशेष कर आयुर्वेद के प्रति लोगों में बहुत श्रद्धा है. लोग यह मानते हैं कि जडी बूटियों में कोई साइड इफैक्ट नहीं होते और उनसे बहुत से चमत्कार हो सकते हैं. इस अंधविश्वास का फायदा उठाने के लिए बहुत सी ठग कंपनियों के घटिया प्रोडक्ट्स बाजार में आ गए हैं. वास्तविकता यह कि इन सब दवाओं का किसी भी पैथी में कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. इन घटिया उत्पादों से कोई लाभ नहीं होता बल्कि नुकसान हो सकता है.
हमें क्या करना चाहिए: यदि हम लम्बे समय तक अपनी स्मरण शक्ति को ठीक रखना चाहते है तो हमें चाहिए कि हम फ़ालतू बोझ से अपने मस्तिष्क को जितना हो सके उतना बचाएं. पत्र पत्रिकाओं व समाचार पत्रों में केवल वही चीजें पढ़ें जो हमारे काम की हों. जनरल नालिज व साइंस से सम्बंधित विषयों को पढने से हमारा ज्ञान बढ़ता है, इसलिए दस अलग अलग फ़ालतू बातें पढ़ने के स्थान पर यदि हम एक ज्ञान वर्धक बात को दस बार पढ़ें तो वह हमारे लिए भी ज्यादा फायदे मंद होगी व हमारे मस्तिष्क में स्थान भी कम घेरेगी. अच्छे लेखकों द्वारा लिखा साहित्य बार बार पढ़ने से भी हमारी बुद्धि का विकास होता है.
हमारी स्मृति पर सबसे अधिक बोझ डालते हैं फ़ालतू टीवी कार्यक्रम व घटिया फिल्मे. सालों साल चलने वाले उबाऊ टीवी सीरियल, उनके बीच ठूंसे हुए विज्ञापन और क्रिकेट जैसे लम्बे खेल हमारे मस्तिष्क में बहुत अधिक स्थान घेरते हैं. रिटायर लोगों व खाली महिलाओं के लिए तो यह उपयोगी हो सकते हैं पर पढ़ने वाले बच्चों और हर समय व्यस्त रहने वाले कामकाजी लोगों की स्मृति पर यह बहुत बोझ डालते हैं. मनोरंजन के लिए इन में बहुत कम समय ही देना चाहिए.
स्मरण शक्ति ठीक रखने के लिए कुछ सुझाव :
- नियमित रूप से नींद पूरी करें. सामान्यत: बच्चे यह समझते हैं कि नींद बिलकुल फ़ालतू चीज है और सोने से समय नष्ट होता है. सच यह है कि मस्तिष्क के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए छ: से आठ घंटे की नींद आवश्यक है. परीक्षा के दिनों में नींद अवश्य पूरी करना चाहिए. जब हम सोते हैं तो हमारा मस्तिष्क हमारी दिन भर की स्मृतियों को व्यवस्थित करता है. इससे हमारी स्मरण शक्ति बढ़ती है.
- संतुलित भजन करें. भोजन में प्रोटीन, विटामिन्स भरपूर मात्रा में होने चाहिए. बाजार में बिकने वाली स्मरण शक्ति वर्धक दवाएं बिलकुल न खाएँ.
- नियमित व्यायाम करें. व्यायाम से केवल शरीर को ही नहीं मस्तिष्क को भी लाभ होता है. बच्चों के लिए खेल कूद व बड़ों के लिए तेज चाल से टहलना या जॉगिंग उत्तम व्यायाम हैं. योग से भी कुछ लाभ होता है पर उसके लिए बहुत समय की आवश्यकता है. प्राणायाम, कपाल भारती व सूर्य नमस्कार कम समय में किए जा सकते हैं.
- खाली समय में साथियों व परिवार जनों के साथ गप शप व हंसी मजाक करें या सामान्य ज्ञान संबंधी हलके फुल्के रुचिकर विषयों पर चर्चा करें. टी वी, फिल्मों, फालतू अखबारी ख़बरों, खबरिया चैनल्स व घटिया साहित्य से बचें. यदि फिल्म देखना ही हो तो बहुत सी घटिया फिल्मो के स्थान पर एक ही मनोरंजक फिल्म को बार बार देखें. इससे आपकी स्मरण शक्ति पर कम बोझ पड़ेगा.
डॉ. शरद अग्रवाल एम डी