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डायबिटीज में पैरों की देखभाल ( Foot care in Diabetes )

डायबिटीज में पैरों की देखभाल ( Foot care in Diabetes )

डायबिटीज के मरीजों में पैरों के छोटे-मोटे इन्फेक्शन भी खतरनाक रूप ले सकते हैं. इसलिए डायबिटीज के मरीजों को अपने पैरों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. यदि ब्लड  शुगर ठीक से कंट्रोल न हो तो समय बीतने के साथ पैरों में रक्त ले जाने वाली नसों में रक्त का दौरान कम हो जाता है.  ऐसे में यदि कोई घाव हो जाए तो उसका भरना बहुत मुश्किल होता है. खून का दौरान ज्यादा ही कम हो जाने पर पैर के कुछ हिस्से की खाल और हड्डी की कोशिकाएं  मृत हो जाती हैं (gangrene, गैंग्रीन) और उतना हिस्सा काट कर निकालने (amputation) की नौबत आ सकती है. सिगरेट व तम्बाखू का सेवन करने वालों में इसका खतरा कई गुना अधिक होता है.

ब्लड शुगर कंट्रोल ना होने से  आर्टरीज  के  अलावा नर्व्स (nerves, तंत्रिकाएँ) को भी नुकसान पहुंचता है, जिससे पैर सुन्न होने लगते हैं और मरीज को जलने कटने, चोट लगने या कील कांटा आदि चुभने का एहसास नहीं होता. एक बार घाव हो जाए तो उसमें इन्फेक्शन का काफी डर होता है. एक विशेष प्रकार के प्लास्टिक वायर से पैर में सुन्नपन की जांच करते हैं.

डायबिटीज के रोगियों के पैरों  के घाव खतरनाक होते हैं इसलिए उनके बचाव पर पूरा ध्यान देना चाहिए. डायबिटीज के मरीजों से कहा जाता है. कि उन्हें अपने चेहरे से ज्यादा अपने पैरों का ध्यान रखना चाहिए. घाव होने से बचने के लिए कुछ जरुरी सुझाव इस प्रकार हैं –

  1.   नंगे पैर बिल्कुल न चलें. आम लोगों में यह अंधविश्वास होता है कि घास पर नंगे पैर चल
    ने से फायदा होता है. ऐसा बिल्कुल नहीं है. घर में भी स्लीपर अवश्य पहनें. बाहर जाने के लिए चप्पल के मुकाबले जूता अधिक सुरक्षित रहता है.
  2.   पैरों को रोज धोएं. जाड़ों में पैर धोने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें. डायबिटीज के मरीजों को न्यूरोपैथी के कारण अक्सर ठंडे गर्म का एहसास नहीं होता. ऐसे में यदि पानी तेज गर्म हो तो पैर जलने का डर रहता है. पानी कितना गर्म है इसकी जांच किसी अन्य व्यक्ति से करवानी चाहिए या मरीज को अपनी कोहनी से छूकर देखना चाहिए.
  3.  पैर धोने के बाद पैरों को मुलायम तोलिया से सुखाएं. उंगलियों के बीच भी हल्के से पोछें.
  4.  यदि पैरों की खाल में खुश्की हो तो कोई तेल, क्रीम या मोइस्चराइजर लगाएं.
  5.   इस बात को ध्यान पूर्वक देखें कि पैर में कोई छाला, घाव, कटा हुआ, बिबाई या क्रैक न हो. यहां तक हो सकता है कि कोई भी पिन या कील घुसी हो और मरीज को पैर सुन्न होने के कारण उसका एहसास न हो. अगर मरीज की निगाह कमजोर हो तो उसे घर के किसी अन्य व्यक्ति से रोज अपने पैरों का निरीक्षण करवाना चाहिए.
  6.  जाड़ों में गर्म पानी या आग के सामने पैरों की सिकाई कभी न करें.
  7.   सही जूते का चुनाव बहुत सावधानी से करें –

क. जूता पूरा पैर  ढकने  वाला होना चाहिए.

ख.  सोल मुलायम होना चाहिए. स्पोर्ट्स  शू इस मामले में अच्छे रहते हैं.

ग.  घर में पहनने के लिए अंगूठे और उंगली के बीच फंसाने वाली चप्पल के मुकाबले स्लीपर   अच्छे रहते हैं.

घ.  जूता चौड़ा और आराम दायक  होना चाहिए. बिना फीते वाले जूतों के मुकाबले फीते वाले जूतों की फिटिंग ज्यादा सही होती है.

च.  जूतों के अंदर मोज़े अवश्य पहनें. नायलॉन के मोजे न पहनें. सूती या ऊनी मोजे पहनें. मोजों में सिलाई नहीं होनी चाहिए. यदि मोजो में सिलाई हो तो उसे उल्टा करके पहनें.

छ.  पहनने  से पहले जूतों को अंदर से टटोल ले. यदि मरीज के हाथों में सुन्नपन है तो किसी अन्य सदस्य को यह काम करना चाहिए. यदि जूते के  सोल मैं कोई कील चुभी हो या जूते में कोई कंकड़ी इत्यादि घुस गई  हो तो उससे पैर में घाव होने का खतरा होता है.

ज.  जब भी नया जूता ले तो उसे एक बार में 2 घंटे से अधिक न पहने. धीरे-धीरे पहनने का समय  बढ़ाएं.

8.  पैर में कोई मस्सा या वार्ट आदि होने पर उसे अपने आप कभी ना  काटें.

9.  नाखूनों को सीधा काटें जिससे उनके किनारे खाल से थोड़ा बाहर निकले हुए रहें. ज्यादा अंदर तक नाखून काटने से उनके कोने खाल  के अंदर घुसने का डर रहता है.

10.  सिगरेट, बीड़ी व् तंबाकू का प्रयोग बिल्कुल न करें.

11.  पैर में कोई घाव या इंफेक्शन होने पर  फ़ौरन अपने डॉक्टर को दिखाएं.

                                        

डायबिटीज़ में पैरों की देखभाल से सम्बन्धित विडियो देखने के लिए लेखक द्वरा youtube परअपलोड किया गया विडियो देखें.

 

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