गुर्दे की पथरी ( Kidney Stones )
गुर्दे की पथरी कई प्रकार की होती हैं पर सबसे अधिक पाई जाने वाली पथरी कैल्शियम आक्जेलेट से बनती हैं. हम लोगों के सामान्य भोजन में कैल्शियम व आक्जेलेट के लवण विभिन्न रूप में पाए जाते हैं. गुर्दे में जब मूत्र का निर्माण होता है तो यह मिलकर कैल्शियम आक्जेलेट के क्रिस्टल बना लेते हैं. यदि हम पानी अधिक पीते हैं तो यह क्रिस्टल घुली हुई अवस्था में ही मूत्र द्वारा बाहर निकल जाते हैं. पानी कम पीने पर मूत्र का गाढ़ापन बढ़ जाता है तथा यह घुलनशील न रहकर पथरी के रूप में जम जाते हैं. यदि एक बार छोटी पथरी बन जाए तो उस पर और अधिक क्रिस्टल जमा होते जाते हैं तथा पथरी का आकार बढ़ता जाता है.
गर्मी के दिनों में पसीना अधिक आने के कारण मूत्र कम बनता है तथा पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है. इससे बचने के लिए गर्मी में पानी व तरल पदार्थ अधिक पीना चाहिए. जो लोग अधिक ठंडा पानी पीते हैं उनको पथरी अधिक बनती हैं क्योंकि जल्दी प्यास बुझ जाने के कारण ठंडा पानी कम पिया जाता है.
जिन लोगों को एक बार पथरी की बीमारी हो चुकी है तो उन्हें बार-बार यह शिकायत हो सकती है इसलिए उन्हें हमेशा परहेज करना चाहिए. निम्न खाद्य पदार्थों में आक्जेलेट की मात्रा अधिक होती है इसलिए पथरी के मरीजों को इनका सेवन बहुत कम करना चाहिए –
पालक, शकरकंदी, चुकंदर, भिंडी, सेम फली, अंजीर, चॉकलेट, चौलाई, आंवला, गाजर, खुमानी, रसभरी, बादाम, कोका, काजू
दूध व दूध से बनी चीजों में कैल्शियम अधिक मात्रा में होता है. पहले ऐसा माना जाता था कि भोजन में कैल्शियम लेने से पथरी बनने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए पथरी के रोगियों को दूध से बनी चीजों का सेवन कम करने की सलाह दी जाती थी. अब नए अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि भोजन में कैल्शियम बहुत कम होने से भी पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए दूध लेना बंद नहीं करना चाहिए. कैल्शियम की गोलियाँ अधिक मात्रा में खाने से भी पथरी की संभावना बढ़ सकती है.
गुर्दे की पथरी के लक्षण : बहुत से लोगों को गुर्दे की पथरी से कोई परेशानी नहीं होती, किसी अन्य कारण से अल्ट्रासाउंड कराने पर पथरी का पता चलता है. कुछ लोगों को कमर के ऊपरी हिस्से से ले कर आगे तक दर्द की शिकायत होती है. जब पथरी युरेटर (गुर्दे की नली, ureter) में से हो कर बाहर निकलती है तो अत्यधिक दर्द हो सकता है. कुछ लोगों को पेशाब में खून आने की शिकायत हो सकती है. कुछ लोगों को पथरी होने के कारण बार बार गुर्दे में इन्फेक्शन होता है. इस प्रकार बार बार इन्फेक्शन होने से गुर्दा खराब होने का डर होता है.
पथरी की डायग्नोसिस : आमतौर पर अल्ट्रासाउंड द्वारा गुर्दे की पथरी आसानी से दिख जाती हैं. यदि यूरेटर में छोटी सी पथरी हो तो उसका दिखाई देना मुश्किल होता है पर उसके कारण गुर्दे में पेशाब के रुकने के कारण सूजन (हाइड्रोनेफ्रोसिस, hydronephrosis) दिखाई दे जाती है. पेट के एक्सरे में भी पथरी दिखाई दे सकती हैं. कभी कभी रंगीन एक्सरे (IVP) या सीटी स्कैन की भी आवश्यकता पड़ सकती है.
उपचार :
जिन लोगों के गुर्दे में छोटी पथरियाँ होती हैं उन्हें विशेष रूप से अधिक पानी पीना चाहिए. अधिकतर छोटी पथरियां पानी अधिक पीने से निकल जाती हैं. ऐसे में घबराना नहीं चाहिए और डॉक्टर से सलाह कर के आवश्यक जांचें करा लेना चाहिए व दवा ले लेना चाहिए. कुछ दवाएं पथरी के निकलने में सहायता करती हैं. पथरी के विषय में हेम्योपैथी, देसी व यूनानी वाले जितने दावे करते हैं वह सब कोरी गप हैं. जितनी भी पथरी निकलती हैं वे सब अधिक पानी पीने से ही निकलती हैं. केवल अपने देश में ही पथरी के विभिन्न विधियों द्वारा हजारों ऑपरेशन रोज होते हैं. वह बेचारे मरीज महीनों – सालों तक इस प्रकार की दवाएं खाए हुए होते हैं. यदि इन सब से पथरी निकलती होती तो यह सब ऑपरेशन करने की नौबत क्यों आती.
डॉक्टर शरद अग्रवाल एम डी मेडिसन