चिकेन पॉक्स (chicken pox, छोटी माता) एक वायरल इन्फेक्शन है जो कि Varicella Zoster वायरस द्वारा इन्फेक्शन होने पर होता है. इसमें बुखार के साथ शरीर पर छोटे छोटे पानी भरे दाने निकल आते हैं. पहले के जमाने के लोग इसको और चेचक (small pox, बड़ी माता) को देवी का प्रकोप समझते थे इसीलिए इन दोनों बीमारियों को माता निकलना कहते थे. आज के वैज्ञानिक युग में रोग के सही कारण जानने के बाद भी बहुत से अन्धविश्वासी लोग इसको देवी का प्रकोप मान कर इलाज करने को मना करते हैं और झाड फूँक करते हैं.
चिकेन पॉक्स का वायरस अत्यधिक संक्रामक होता है. अर्थात जिस व्यक्ति को चिकेन पॉक्स हो उसके संपर्क में आने वाले लोगों को इन्फेक्शन होने की काफी अधिक सम्भावना होती है. रोगी को बुखार आने के 48 घंटे पहले से ले कर छालों पर खुरंट (scab) जमने तक यह इन्फेक्शन दूसरे लोगो में फैलने का डर होता है. जिसको एक बार चिकेन पॉक्स निकल चुकी हो उसको दोबारा इसका इन्फेक्शन होने की सम्भावना नहीं के बराबर होती है. शरीर में वायरस के प्रवेश करने के बाद 10 से 20 दिन के बाद बीमारी आरम्भ होती है. बच्चों में आमतौर पर ये बीमारी हलकी होती है पर बड़े लोगों में अधिक मात्रा में दाने निकलते हैं. जिन लोगों को चिकेन पॉक्स निकल चुकी हो उनकी नर्व रूट्स में इसका वायरस सुषुप्तावस्था (dormant) में पड़ा रह सकता है और उन के जीवन में कभी भी हरपीस जोस्टर नाम की बीमारी उत्पन्न कर सकता है.
लक्षण : इसमें बुखार के साथ दाने निकलते हैं जोकि पहले हलके उभरे हुए छोटे लाल चकत्तों के रूप में होते है, फिर उनमे पानी भर जाता है और अंत में उन पर खुरंट बन जाता है. एक ही समय में दानों की अलग अलग स्टेज देखी जा सकती हैं. कुल 5 – 6 दिनों तक बुखार रहता है और नए नए दाने निकलते हैं. फिर बुखार उतर जाता है व दाने भी सूख कर उन पर खुरंट बन जाता है. फिर धीरे धीरे ये खुरंट अलग हो जाते है. शरीर की त्वचा (skin) के साथ सर में (बालों के अन्दर), गले के अन्दर व जननांगों पर भी दाने हो सकते हैं. दानों में खुजली व् जलन होने काफी परेशानी होती है. छालों में खुजली करने पर उनमें इन्फेक्शन होने और पस पड़ने का डर रहता है. जिन लोगों में किसी कारण से रोग प्रतिरोध क्षमता (resistance power) कम होती है उनमें यह इन्फेक्शन फेफडों या मस्तिष्क में पहुँच कर खतरनाक रूप धारण कर सकता है.
उपचार : बुखार उतारने के लिए केवल पैरासीटामौल का प्रयोग करना चाहिए. (एस्पिरिन बिलकुल नहीं लेनी चाहिए.) खुजली के लिए cetirizine आदि ले सकते हैं. नहाने से और हल्का ठंडा गीला तौलिया छालों के ऊपर रखने से जलन में आराम मिलता है. Dettol और नीम आदि प्रयोग नहीं करना चाहिए. नहाते और पोंछते समय यह ध्यान रखें कि दाने छिलें नहीं. नाखूनों को ठीक से काट लेना चाहिए जिससे खुजलाते समय दाने न छिलें. चिकेन पॉक्स के शुरू होते ही डॉक्टर से सलाह ले कर जल्दी से जल्दी एंटीवाइरल दवा आरम्भ कर देनी चाहिए (acyclovir, valacyclovir). यदि किन्हीं छालों में पस पड़ गया हो तो एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है. चिकेन पॉक्स में खाने का कोई विशेष परहेज नहीं होता. रोगी को कम मसाले का हल्का व पौष्टिक खाना खाना चाहिए (दूध, पनीर, अंडा, दालें, सब्जियां, ताजे मीठे फल आदि).
विशेष : चिकेन पॉक्स से बचाव के लिए एक टीका उपलब्ध है जोकि थोडा महंगा है. जो लोग इसे लगवा सकते हैं उन्हें अवश्य लगवा लेना चाहिए.