Featured article, Fevers, Infections

इनफ्लुएंजा H3N2

H3N2 इनफ्लुएंजा एक विशेष प्रकार के इनफ्लुएंजा वायरस द्वारा होने वाला इंफेक्शन है. यह सांस के द्वारा फैलता है और नवंबर से मार्च तक के मौसम में अधिक होता है. इनफ्लुएंजा वायरस कई प्रकार के होते हैं जिनमें से मुख्य हैं H1N1, H3N2 एवं H5N1. ये सभी वायरस हर वर्ष अपना स्वरूप बदलते रहते हैं कभी कभी खतरनाक रूप धारण कर के महामारी फैला सकते हैं. WHO के अनुसार हर वर्ष दुनिया भर में लगभग दस करोड़ लोग इनफ्लुएंजा से पीड़ित होते हैं, जिनमें से तीस से पचास लाख लोगों में यह खतरनाक रूप धारण कर लेता है एवं तीन से छः लाख लोग इसके कॉम्प्लिकेश्न्स के कारण मौत के शिकार होते हैं.
लक्षण : शरीर में प्रवेश करने के बाद दो-तीन दिन तक वायरस मल्टीप्लाई करता है. इस समय कोई विशेष लक्षण नहीं होता है. इसके बाद तेज बुखार, शरीर दर्द, सर दर्द, गले में दर्द, सूखी खांसी व हल्का जुकाम, मांसपेशियों में दर्द, बेचैनी आदि लक्षण होते हैं. जिन लोगों में फेफड़ों का इन्फेक्शन अधिक होता है उन्हें सांस फूलने की परेशानी भी हो सकती है और उनकी ऑक्सीजन कम हो सकती है. कुछ बच्चों में इनफ्लुएंजा इन्फेक्शन से उलटी व दस्त भी हो सकते हैं.
अधिकतर लोगों में इंफेक्शन खतरनाक रूप धारण नहीं करता. जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है – जैसे बहुत छोटे बच्चे, अधिक आयु के लोग, अधिक मोटे लोग, गर्भवती महिलाएं, डायबिटीज के रोगी (विशेषकर यदि डायबिटीज कंट्रोल ना हो), सांस के रोगी, हृदय रोगी, गुर्दे के रोगी, कैंसर के रोगी, गठिया के रोगी, या जिन लोगों मैं शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम करने की कोई दवा चल रही हो, उन लोगों में यह खतरनाक रूप धारण कर सकता है. अधिकतर स्वस्थ लोगों में यह 5 से 7 दिन का समय लेकर अपने आप समाप्त हो जाता है. कुछ लोगों में खांसी बहुत दिन तक रह सकती है और शारीरिक कमजोरी भी बहुत दिन तक रह सकती है. जिन लोगों को वायरस का इन्फेक्शन अधिक होता है उनमें यह वायरस तेजी से फेफड़ों में फैल सकता है (वायरल निमोनिया), दिमाग का इन्फेक्शन कर सकता है (जिससे बेहोशी एवं मिर्गी के दौरे जैसी परेशानी हो सकती है) तथा हृदय, मांसपेशियों एवं अन्य अंगों पर भी असर डाल सकता है. वायरस के इंफेक्शन के अतिरिक्त ऐसे लोगों में ऊपर से खतरनाक बैक्टीरियल इनफेक्शन भी हो सकता है जिसका इलाज काफी कठिन होता है.

जांचें: खून की सामान्य जांच में TLC, DLC एवं प्लेटलेट थोड़ी कम आ सकती हैं, जबकि बैक्टीरियल इनफेक्शन में TLC बढ़ जाती है. जिन लोगों को फेफड़ों में इन्फेक्शन अधिक होता है उनके सीने के एक्सरे में वायरल निमोनिया दिखाई दे सकता है. यदि ऊपर से बैक्टीरिया का इन्फेक्शन भी हो जाए तो बैक्टीरियल निमोनिया भी दिख सकता है. जिन लोगों के दिमाग में इंफेक्शन होता है उनके MRI एवं CSF की जांच में कमियां पाई जा सकती हैं. हृदय पर असर हो तो ईसीजी एवं इकोकार्डियोग्राफी में कमियां पाई जा सकती हैं. कोविड-19 की जांच के समान गले या नाक से swab लेकर उसमें वायरस की उपस्थिति और वायरस किस प्रकार का है यह जानकारी प्राप्त की जा सकती है लेकिन यह जांच बहुत महंगी होती है एवं इस की रिपोर्ट आने में काफी समय लगता है.

उपचार : सामान्य स्वस्थ लोगों में इनफ्लुएंसर का इन्फेक्शन खतरनाक नहीं होता इसलिए इससे डरना नहीं चाहिए. सामान्य बुखार की दवा पेरासिटामोल को हर 4 से 6 घंटे पर दिया जा सकता है. बहुत तेज बुखार हो या दर्द बहुत अधिक हो तो साथ में मेफिनेमिक एसिड की थोड़ी सी डोज़ दी जा सकती है. खांसी के लिए सामान्य कफ सिरप तथा दर्द एवं बेचैनी के लिए सामान्य दवाएं दी जा सकती हैं. अधिक खांसी होने पर इन्हेलर या नेबुलाइज़र का प्रयोग करना चाहिए. डिहाइड्रेशन से बचने के लिए पानी अधिक पीना चाहिए व थोड़ा नमक चीनी का घोल या इलेक्ट्रोल भी ले सकते हैं. ठंडी व खट्टी चीजें, खट्टे फल (अनार, संतरा, अंगूर, कीवी आदि) एवं फलों का जूस नहीं लेना चाहिए. सामान्य पौष्टिक आहार दूध, अंडा, दालें इत्यादि अधिक लेना चाहिए एवं आराम करना चाहिए.

एंटीबायोटिक्स का इसमें कोई रोल नहीं होता इसलिए अपने आप से एंटीबायोटिक नहीं खानी चाहिए. अनावश्यक एंटीबायोटिक खाने से रेसिस्टेंट बैक्टीरिया विकसित हो जाते हैं जिन का इलाज बहुत मुश्किल होता है. एंटीवायरल दवा Oseltamivir इस इन्फेक्शन में असरकारक होती है, लेकिन इसका उपयोग योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करना होता है.

जिन लोगों में रोग प्रतिरोध क्षमता कम होती है उनमें यह इंफेक्शन खतरनाक रूप धारण कर सकता है. ऐसे मरीज़ों में शुरू से ही अत्यधिक सावधानी रखने की आवश्यकता होती है. यदि ब्लड प्रेशर कम हो, डिहाइड्रेशन हो रहा हो, ऑक्सीजन का लेवल कम हो रहा हो, खांसी अधिक हो, सांस फूलती हो या बेहोशी जैसी हालत हो तो अस्पताल में एडमिट करके योग्य चिकित्सक द्वारा इलाज करवाना चाहिए.

इनफ्लुएंजा से बचाव : जिस समय यह इंफेक्शन फैल रहा होता है उस समय उसी प्रकार की सावधानियां रखनी चाहिए जैसी कोविड-19 के समय बताई गई थीं (मास्क लगाना, आपस में दूरी बना कर रखना, नियमित हाथ धोना व सैनीटाइज़र का प्रयोग करना, जिन लोगों को खांसी बुखार हो उनको अन्य लोगों से अलग रखना, सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचना, खांसते व छींकते समय मुंह तथा नाक को कवर करना, इधर-उधर न थूकना आदि).

जिन लोगों को खतरनाक इनफ्लुएंजा होने की संभावना अधिक है उनको प्रतिवर्ष इनफ्लुएंजा वैक्सीन लगवाना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 6 माह से 5 वर्ष की आयु के बच्चों, 65 वर्ष से अधिक अवस्था के बुजुर्गों, सभी गर्भवती महिलाओं (जिनको एक वर्ष के भीतर वैक्सीन न लगा हो), डायबिटीज, सांस, हृदय, गुर्दे, लिवर और कैंसर के रोगी एवं सभी स्वास्थ्य कर्मी, इन सबको प्रति वर्ष यह वैक्सीन लगवाना चाहिए.

डॉ. शरद अग्रवाल एम्.डी.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *