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ESR

प्रश्न : हमने खून की बहुत सी जांचें कराई थीं, इनमें से हमारा ESR बढ़ा हुआ आया है. ESR क्या होता है और इस का क्या महत्व है? यह कोई सीरियस बीमारी तो नहीं है?
उत्तर : जब हमारे शरीर पर कोई बीमारी उत्पन्न करने वाला कीटाणु बाहर से आक्रमण करता है तो शरीर की रोगों से लड़ने वाली प्रणाली (immune system) उसका मुकाबला करती है। रक्त में पाई जाने वाली सफेद रक्त कणिकाएं (white blood cells) इस में मुख्य भूमिका निभाती हैं। रक्त के अतिरिक्त बोन मैरो (bone marrow) एवं लिम्फ नोड्स (lymph nodes) में भी इसी प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जो रोग से लड़ने में योगदान देती हैं। कीटाणुओं को मारने की प्रक्रिया में उस स्थान पर सूजन, लाली, गर्मी और दर्द उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार के लक्षणों को शोथ (इन्फ्लेमेशन, inflammation) कहते हैं।

कीटाणुओं के इन्फेक्शन के बिना भी कभी कभी प्रतिरोधक तंत्र (immune system) में कुछ गड़बड़ी आने से वह अपने शरीर की कोशिकाओं पर ही अटैक करने लगता है। ऐसा होने पर भी इन्फ्लेमेशन उत्पन्न होता है।
जब कभी शरीर के किसी हिस्से में इन्फ्लेमेशन होता है तो खून की जांच में दो विशेष बदलाव दिखाई देते हैं – सफेद रक्त कणों का बढ़ना और ESR (erythrocyte sedimentation rate) का बढ़ जाना। ESR का बढ़ना अपने आप में कोई बीमारी नहीं है यह केवल यह दर्शाता है कि शरीर में कहीं इन्फ्लेमेशन है। ESR के समान ही CRP नाम की एक जांच होती है जो कि इन्फ्लेमेशन को दर्शाती है. इस में C- Reactive Protein नाम की एक प्रोटीन को नापते हैं जो कि इन्फ्लेमेशन होने पर बढ़ जाती है.

जब रक्त में हीमोग्लोबिन कम होता है तो कोई इन्फ्लेमेशन हुए बिना भी ESR बढ़ जाता है। हीमोग्लोबिन जितना कम होता है ESR उतना ही बढ़ा हुआ आता है। इस तरह बढ़े हुए ESR से बीमारी का धोखा न हो इसके लिए खून की कमी के अनुपात में ESR को कम करके कैलकुलेट करते हैं। हीमोग्लोबिन में जितनी कमी होती है ESR की वैल्यू को उसके अनुसार उतना ही कम कर देते हैं। ESR की इस प्रकार की रीडिंग को करेक्टेड ESR (corrected ESR) कहते हैं। जिन लोगों में हीमोग्लोबिन कम होता है उनमें हमेशा करेक्टेड ESR ही देखना चाहिए।

अधिक आयु के लोगों और गर्भवती महिलाओं में भी बिना किसी बीमारी के ESR थोड़ा बढ़ा हुआ आता है.  कभी-कभी बिना किसी स्पष्ट कारण के भी ESR बढ़ सकता है. ऐसा आमतौर पर तब होता है जब कोई हल्का-फुल्का इन्फेक्शन होकर अपने आप ठीक हो गया हो. ESR को हमेशा बीमारी के अन्य लक्षणों एवं अन्य जांचों के परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है. अकेले ESR के थोड़ा सा बढ़ने का कोई विशेष महत्त्व नहीं होता. जिन लोगों को चिकित्सा विज्ञान की जानकारी नहीं है वे यह नहीं समझ सकते कि किस केस में इस जांच को कितना महत्व देना है.

प्रश्न : ESR टैस्ट कैसे करते हैं?
उत्तर : इस जांच को करने के लिए थोड़ा सा रक्त ले कर उसमें एक केमिकल मिलाते हैं जिससे खून जमे नहीं। फिर उस रक्त को एक ट्यूब में भर कर खड़ा कर देते हैं। खड़े हुऐ रक्त में लाल रक्त कण धीरे धीरे नीचे बैठने लगते हैं। एक घंटे बाद यह नाप कर देखते हैं कि लाल रक्त कण कितना नीचे बैठ गए हैं अर्थात खून का कितने मिलीमीटर कॉलम क्लियर हो गया है। इसी रीडिंग को ESR कहते हैं।

प्रश्न : सामान्यतः किन बीमारियों में ESR अधिक बढ़ता है?

उत्तर : जैसा कि ऊपर बताया गया है ESR के थोडा बहुत बढ़ने को अधिक महत्व नहीं देते हैं, क्योंकि थोड़ा बहुत ESR बिना किसी बीमारी के भी बढ़ सकता है. ESR अधिक बढ़ने वाली सामान्य बीमारियां निम्न हैं –

  1. शरीर के किसी भी अंग में टीबी (tuberculosis) का इन्फेक्शन. (मरीज के सभी लक्षण, अन्य जांचें जैसे खून की जांच, पेशाब की जांच, बलगम की जांच, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड आदि सभी को मिलाकर बीमारी को डायग्नोस करते हैं.)
  2. लंबे समय तक चलने वाले कोई भी इन्फेक्शन.
  3. लंबे समय तक चलने वाली कुछ बीमारियां जिन में इन्फेक्शन तो नहीं होता लेकिन इन्फ्लेमेशन होता है, जैसे सार्कोइडोसिस (sarcoidosis), अल्सरेटिव कोलाइटिस (ulcerative colitis) आदि.
  4. गठिया से संबंधित ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे Rheumatoid Arthritis, SLE, Temporal Arteritis, थायराइड की एक बीमारी Thyroiditis आदि.
  5. रक्त सम्बन्धी कुछ कैंसर जैसे Lymphoma, Multiple myeloma आदि.

जिन बीमारियों में ESR बढ़ता है उनका इलाज करने पर जब वे बीमारी ठीक होती हैं तो ESR धीरे धीरे कम होने लगता है. इस कारण से इलाज का रेस्पौंस और बीमारी की एक्टिविटी देखने के लिए भी ESR कराते हैं.

कम समय तक रहने वाले सामान्य बुखारों, वायरल फीवर, डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड, उल्टी दस्त, स्किन इन्फेक्शन, टोंसिलाइटिस, पीलिया, गुर्दे के इंफेक्शन, निमोनिया, हार्ट में एनजाइना का दर्द, फेफड़ों में ब्रोंकाइटिस व दमा, सामान्य सरदर्द, माइग्रेन, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण घुटनों में दर्द, पाइल्स व फिशर, प्रोस्टेट का बढ़ना आदि सामान्य बीमारियों में ESR नहीं बढ़ता है.

डॉ. शरद अग्रवाल MD

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